Bihar News: मुजफ्फरपुर में ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग और गैंबलिंग बच्चों और युवाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं. माड़ीपुर रामराजी रोड पर रंजन कुमार द्वारा भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान रुपये हारने के बाद आत्महत्या करने की घटना ने शहर में इस मुद्दे को गंभीर बना दिया है. अब शहर के विभिन्न वर्गों के बच्चे, जैसे पंचर और चाय दुकानदार से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, बिजनेसमैन के बच्चे भी इस जाल में फंसते जा रहे हैं.
साइबर पुलिस का जागरूकता अभियान
साइबर थाने की पुलिस लगातार बच्चों और उनके परिवारों को इस ऑनलाइन गेमिंग के खतरे से अवगत करवा रही है. बावजूद इसके, इस पर रोक नहीं लग पा रही है. सोशल मीडिया और टीवी पर रियल मनी गेमिंग के विज्ञापन युवाओं को करोड़पति बनने का सपना दिखाकर इस ओर आकर्षित कर रहे हैं. हारने पर कई बच्चे मानसिक समस्याओं का सामना करने लगते हैं, जैसे झूठ बोलना, चिड़चिड़ापन, मिर्गी आना और आक्रामकता, और निरंतर हारने के बाद कुछ बच्चे आत्महत्या तक कर लेते हैं.
मनोचिकित्सक ने की मोबाइल गेमिंग की लत पर चेतावनी
मनोचिकित्सक एके झा के अनुसार, ऑनलाइन गेम्स के कारण बच्चों में डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वे इस लत के शिकार हो जाते हैं. मोबाइल गेम की लत से बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है और उनकी एकाग्रता में कमी आती है. उन्होंने बताया कि आजकल के बच्चों को माता-पिता अपनी सुविधा के लिए मोबाइल दे देते हैं, जिससे उनका स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है.
ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग और गैंबलिंग के प्रमोशन पर रोक की जरूरत
साइबर अधिवक्ता अनिकेत पियुष ने बताया कि रियल मनी गेमिंग और गैंबलिंग का प्रमोशन बंद होना चाहिए और सरकार को इस पर कड़ी गाइडलाइन्स लागू करनी चाहिए. इन खेलों में बच्चों को हिंसक टास्क और नए हथियार खरीदने के लिए पैसे खर्च करने के लिए उकसाया जाता है. ये सभी चीजें उनके मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं और उनके लिए खतरनाक साबित होती हैं.
ये भी पढ़े: मुजफ्फरपुर के हर 10 में से 4 युवा फंस चुके हैं इस खतरनाक ट्रैप में, जानें क्या है पूरा मामला
बच्चों और युवाओं को बचाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत
ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग की ओर आकर्षित होने से बच्चों और युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, और यह उनके भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है. इसके लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी को इस डिजिटल जाल से बचाया जा सके.
ये भी पढ़े: भारत को पीछे छोड़ने के लिए छाती पीट रहे हैं शहबाज शरीफ, लेकिन सच्चाई कर रही कुछ और ही बयां