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बिहार के 3 लोगों को फर्जी वीजा पर एजेंट ने भेजा विदेश, मलेशिया पुलिस ने पकड़ा, एक नेपाली नागरिक ने दी सूचना

गिरफ्तारी की खबर मिलने के बाद जब परिवार के लोगों ने एजेंट को फोन लगाया, तो मोबाइल स्वीच ऑफ था. कोलकाता स्थित कार्यालय पहुंचा, तो देखा कि कार्यालय बंद है. एजेंट ने वाट्सएप कॉल पर बात की तो उसने कहा कि मुझ तक पहुंचना नामुमकिन है. मैं इंडिया में नहीं रहता हूं.

शुभम कुमार, पटना: मलयेशिया में काम करने गये नालंदा व आरा के तीन लोगों को मलयेशिया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस बात की जानकारी परिवार के लोगों को तब हुई, जब मलयेशिया जेल से छूटे एक नेपाली शख्स ने फोन कर परिवार वालों को बताया. मलयेशिया पुलिस ने नालंदा के सिलाव स्थित अकौना गांव निवासी स्वराज प्रसाद के 40 वर्षीय बेटे सत्येंद्र कुमार और आरा के दो लोगों को गिरफ्तार किया है. तीनों को सात जनवरी को उस वक्त मलयेशिया पुलिस ने पकड़ा, जब वे काम से लौट कर कमरे पर सोने गये.

देर रात पुलिस ने कमरे में छापेमारी की और तीनों को अपने साथ ले गयी. इसके बाद एक नेपाली शख्य ने सत्येंद्र की पत्नी को फोन कर बताया कि उसके पति को मलयेशिया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पति ने ही नंबर दिया और परिवार वालों को सूचना देने के लिए कहा. खबर मिलने के बाद सत्येंद्र के परिवार में कोहराम मच गया. इस बात की जानकारी सत्येंद्र के बेटे हर्ष कुमार ने दी. उसने कहा कि नालंदा एसपी से मुलाकात करने उन्होंने एम्बेसी जाने को कहा है. नेपाली शख्स ने फोन पर बताया कि उनके साथ तीन लोग थे. दो आरा के हैं, बस इतनी ही जानकारी मिल पायी है.

एजेंट ने सत्येंद्र को डेढ़ महीने थाईलैंड में रखा, फिर ले गया मलयेशिया

बेटे हर्ष ने बताया कि पापा दुबई में चार साल काम कर चुके हैं. इधर तीन-चार सालों से घर पर ही थे. इसके बाद उन्होंने घर में बताया कि कोलकाता का एक एजेंट मलयेशिया में एक कंपनी में हेल्पर के पोस्ट पर नौकरी दिलवायेगा. पिछले साल अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में वह मलयेशिया के लिए निकल गये. मलेशिया से संबंधित कोई भी कागजात घर पर उन्होंने नहीं छोड़ा है. सत्येंद्र ने फोन पर जानकारी दी थी कि एजेंट एक साल से थाईलैंड में रखे हुए है. डेढ़ महीने बगैर काम के एजेंट ने पहले थाईलैंड में रखा इसके बाद वह मलयेशिया ले गया.

मलयेशिया में जब एजेंट ने दूसरी कंपनी में हेल्पर की नौकरी के बजाय सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलायी, तब उन्हें शक हुआ. एजेंट से पूछने पर उसने बताया कि एक से डेढ़ महीने काम करने के बाद लोग वहां नौकरी लगवा देंगे. एक महीना पूरा होने के कुछ ही दिन पहले सात जनवरी की रात उन्हें मलयेशिया की राजधानी कुआलालाम्पुर स्थित एक कमरे से मलयेशिया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उनके साथ उस कमरे में आरा के दो और लोग रहते थे. उन्हें भी पुलिस ने पकड़ कर जेल भेज दिया.

एजेंट ने फोन पर कहा-मुझ तक पहुंचना नामुमकिन है

गिरफ्तारी की खबर मिलने के बाद जब परिवार के लोगों ने एजेंट को फोन लगाया, तो मोबाइल स्वीच ऑफ था. कोलकाता स्थित कार्यालय पहुंचा, तो देखा कि कार्यालय बंद है. एजेंट ने वाट्सएप कॉल पर बात की तो उसने कहा कि मुझ तक पहुंचना नामुमकिन है. मैं इंडिया में नहीं रहता हूं. इतना कहने के बाद उसने फोन काट दिया.

परिवार वालों ने सत्येंद्र को भारत लाने की लगायी गुहार

बेटे ने कहा कि पापा ने एक बार एजेंट के खाते में 25 हजार रुपये डालने को कहा था. मां ने साइबर कैफे से पैसा भेजा था. वह फोन पर वीडियो कॉल से बात करते थे. सात जनवरी को ही उनसे दिन में आखिरी बार बात हुई. उन्होंने वहां के कुछ वीडियो और सिक्योरिटी गार्ड के यूनिफॉर्म में अपनी तस्वीर भेजी है. मां का रो-रो कर बुरा हाल है. अब आखिरी उम्मीद जनता दरबार और एम्बेसी बच गयी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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