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Mahatma Gandhi Jayanti : राजकुमार शुक्ल के साथ पहली बार पटना आए थे बापू

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार 1917 में पटना पहुंचे थे. उस वक्त उनका स्वागत करने के लिए बांकीपुर रेलवे स्टेशन पर 300 लोग पहुंचे थे. अपने इस यात्रा के दौरान वो राजेन्द्र प्रसाद और मौलाना मजहरुल हक के घर भी गए थे.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी तथा स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास में बिहार की राजधानी पटना का एक विशेष स्थान रहा है. गांधी जी के नेतृत्व में 10 अप्रैल 1917 को सत्याग्रह के शुरुआत की कहानी यहीं से लिखी गयी थी. पंडित राजकुमार शुक्ल की जिद पर चंपारण के किसानों की मदद करने के लिए वह पहली बार उन्हीं के साथ पटना पहुंचे थे. यहां से फिर वो चंपारण गए थे.

1917 में पहली बार बिहार आए थे गांधी जी 

गांधी जी कोलकाता से रेलगाड़ी के तृतीय श्रेणी में चल कर 10 अप्रैल 1917 की सुबह उस वक्त का बांकीपुर जंक्शन जिसे अब पटना जंक्शन कहा जाता है पहुंचे थे. यह पहला मौका था जब उन्होंने बिहार की पवित्र धरती पर कदम रखा था. पटना पहुंचने के बाद राज कुमार शुल्क सबसे पहले महात्मा गांधी को राजेंद्र बाबू के पटना स्थित निवास पर ले गये. उस वक्त राजेन्द्र बाबू अपने निवास पर नहीं थे. घर के नौकरों ने गांधी जी के साथ उस वक्त अच्छा व्यवहार नहीं किया था और न ही शौचालय का उपयोग करने दिया था.

मौलाना मजहरुल हक अपने घर ले गए थे गांधी जी को 

गांधी जी ने पटना पहुंचने के बाद अपने लंदन प्रवास और 1915 के मुबंई कांग्रेस अधिवेशन के दौरान मिले मौलाना मजहरुल हक को राज कुमार शुक्ल के माध्यम से एक पत्र भिजवाया. गांधी जी के पटना आने का समाचार मिलते ही हक साहब अपनी मोटर गाड़ी से राजेंद्र बाबू के निवास पर आये और महात्मा गांधी को लेकर फ्रेजर रोड स्थित अपने घर सिकंदर मंजिल ले गये.

ट्रेन से गए थे मोतीहारी 

सिकंदर मंजिल में कुछ वक्त बिताने के बाद उसी रात महात्मा गांधी बांकीपुर से ट्रेन पकड़ कर दीघा घाट पहुंचे और फिर वहां से स्टीमर से गंगा नदी पार कर पहलेजा घाट पहुंचे. यहां घाट से वो ट्रेन पकड़कर सोनपुर पहुंचे जहां से उन्होंने मुजफ्फरपुर के लिए दूसरी ट्रेन पकड़ी. मुजफ्फरपुर पहुंचने के बाद बापू ट्रेन पकड़कर मोतीहारी पहुंचे.

300 लोग स्वागत करने स्टेशन पहुंचे थे 

गांधी जी जब पहली बार पटना पहुंचे थे तो उनके स्वागत के लिए लगभग 300 लोग बांकीपुर स्टेशन पहुंचे थे. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बिहार में राष्ट्रपति महात्मा गांधी का आगमन बराबर होता था. वे दीघा स्थित बिहार विद्यापीठ और सदाकत आश्रम में ही रहना पसंद करते थे. छह फरवरी 1921 को महात्मा गांधी ने बिहार विद्यापीठ की आधार शिला रखी जो विश्व विद्यालय स्तर का मान्यता प्राप्त संस्थानों के रूप में था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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