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Professor Eligibility: असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए विषय की बाध्यता खत्म, अब ये भी बन सकते हैं कुलपति

Professor Eligibility कुलपति चयन के लिए पात्रता को विस्तारित करते हुए शिक्षाविद, शोध संस्थान, सार्वजनिक नीति, प्रशासन और उद्योग के पेशेवरों को भी शामिल किया गया है. यूजीसी नेयूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों और एकेडमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए नया नियम जारी कर दिया.

Professor Eligibility यूजीसी ने ‘यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों और एकेडमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता, नियम 2025’ का ड्राफ्ट जारी कर दिया. नये ड्राफ्ट के अनुसार यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए योग्यता मानदंड में बदलाव कर दिया है. यूजीसी की ओर से जारी ड्राफ्ट पर सलाह भी मांगी गयी है. 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यूजीसी के नये नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा है कि इन नये नियमों का मकसद शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को बदलना और उसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के लक्ष्यों के साथ जोड़ना है. यह ड्राफ्ट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों और एकेडमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के संबंध में जारी किया गया है.

अब प्रशासन और उद्योग के पेशेवर भी बन सकते हैं कुलपति

कुलपति चयन के लिए पात्रता को विस्तारित करते हुए शिक्षाविद, शोध संस्थान, सार्वजनिक नीति, प्रशासन और उद्योग के पेशेवरों को भी शामिल किया गया है. चयन समिति की संरचना, कार्यकाल, उम्र सीमा, पुनर्नियुक्ति की पात्रता जैसे पहलुओं पर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश दिये गये हैं. प्रो कुमार ने कहा कि यह ये विनियम केंद्रीय, राज्य, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों पर लागू होंगे. 

शिक्षक भर्ती के ये हैं नये नियम

प्रो कुमार ने बताया कि अभी, उम्मीदवारों को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी में एक ही विषय में पढ़ाई करनी होती है, तभी वे शिक्षक बन सकते हैं. लेकिन नये दिशा-निर्देशों के अनुसार, उम्मीदवार यूजीसी नेट या पीएचडी विषयों से संबंधित शिक्षण पदों के लिए आवेदन कर सकेंगे, भले ही उनकी पिछली योग्यता किसी और विषय या क्षेत्र में हो. नये नियमों का उद्देश्य यूनिवर्सिटीज को शिक्षकों की नियुक्ति में ज्यादा लचीलापन लाना है. अब अलग-अलग विषयों और कौशल वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति पर भी विचार किया जा सकेगा. अकादमिक योग्यता और प्रकाशनों में भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करना है.

नये नियमों के नेट व पीएचडी भी जरूरी नहीं, काम की योग्यता जरूरी

नये नियमों के अनुसार, अब जरूरी नहीं है कि शिक्षकों के पास पीएचडी या यूजीसी नेट की योग्यता हो. ‘प्रैक्टिस के प्रोफेसर’ योजना के तहत इंडस्ट्री में काम कर रहे लोगों को भी इसके लिए नियुक्त किया जा सकेगा. योग, संगीत, प्रदर्शन कला, दृश्य कला, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट प्रतिभाओं को डायरेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित कर सकते हैं. खेल क्षेत्र के लिए भी विनियमों में प्रावधान किये गये हैं, जिससे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को शिक्षण पेशे में आने का अवसर मिलेगा.

प्रमोशन में अब एपीआइ की भूमिका खत्म

अगर प्रमोशन की बात करें तो नये नियमों में शिक्षकों के प्रमोशन के लिए एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर (एपीआइ) पॉइंट्स सिस्टम का उपयोग नहीं होगा. यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटीज में कई भूमिकाओं और योगदानों को बढ़ावा देना जरूरी है. नये नियम टीचर्स को अपने जुनून को आगे बढ़ाने का मौका देने के साथ उनकी चुनौतियों को भी कम करेंगे.  

बहु-विषयक प्रणाली को बढ़ावा देगा

प्रो कुमार ने कहा कि पीएचडी का विषय स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियों के विषयों से अलग हो सकता है, जिससे बहु-विषयक शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा. यह प्रावधान एनइपी 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसरों में बहु-विषयक प्रणाली को बढ़ावा देगा. 2018 के विनियमों में एपीआइ प्रणाली ने शिक्षकों के प्रदर्शन को मात्रात्मक रूप से आंका गया है, लेकिन 2025 के विनियम में एपीआइ -आधारित मूल्यांकन को खत्म कर, चयन समितियों को संपूर्ण और गुणात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अनुमति दी गयी है.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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