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Vishwakarma Puja 2022: आज प्रतिमा स्थापित कर होगी विश्वकर्मा पूजा, सुबह से शाम 6 बजे तक पूजन का शुभ समय

Vishwakarma Puja 2022: भगवान विश्वकर्मा की पूजा शुभ समय में करने से मनोवांछित फल प्राप्त होंगे. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मंड का निर्माण किया है. पौराणिक युग में इस्तेमाल किये जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था.

Vishwakarma Puja 2022: आज भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए पूरा शहर सजा हुआ है. शहर के कई व्यवसायिक संस्थानों में शनिवार को भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जायेगी. पूजन का समय आज सुबह 6.05 बजे से शाम 6.36 बजे तक है. पुरोहितों की मानें तो इस समय अंतराल में विश्वकर्मा पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होंगे. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मंड का निर्माण किया है. पौराणिक युग में इस्तेमाल किये जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था. जिसमें ‘वज्र’ भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार है. वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे है.

भगवान विश्वकर्मा की पूजा से दरिद्रता का होता है नाश

पं. प्रभात मिश्र ने कहा कि एसी मान्यता है कि प्राचीन काल में जितने भी सुप्रसिद्ध नगर और राजधानियां थीं, उनका सृजन भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. जैसे सतयुग का स्वर्ग लोग, त्रेतायुग की लंका, द्वापर युग की द्वारिका और कलियुग के हस्तिनापुर, महादेव का त्रिशूल, श्रीहरि का सुदर्शन चक्र, हनुमान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल और कुबेर के पुष्पक विमान का निर्माण भी विश्वकर्मा भगवान ने किया था. भगवान विश्वकर्मा की पूजा से दरिद्रता का नाश होता है. इनकी पूजा करने वाले को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं होती है. इनकी पूजा से कारोबार में वृद्धि होती है.

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कभी शहर में सजती थी संगीत की महफिल

एक समय था, जब विश्वकर्मा पूजा पर शहर में संगीत की गूंज सुनाई पड़ती थी. श्रोता रात भर बैठ कर शास्त्रीय संगीत और नृत्य का आनंद लेते थे. देश के बड़े कलकारों का मुजफ्फरपुर में जमघट लगता था. उन्हें सुनने और देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते थे. इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड की ओर से 1985 से आरडीएस कॉलेज के पास होने वाले आयोजन में भारत रत्न बिस्मिल्ला खां, वीजी जोग, किशन महाराज, गुदई महाराज जैसे कलाकार प्रस्तुति देते थे. गायन में शिप्रा बोस, पूर्णिमा चौधरी, श्यामदास मिश्र और पद्मभूषण शारदा सिन्हा की आवाज गूंजती थी. शास्त्रीय नृत्य में ममता शंकर ग्रुप का भी अलग क्रेज था. पुरानी यादों को ताजा करते हुए संगीतज्ञ डॉ अरविंद कुमार कहते हैं कि उस समय विश्वकर्मा पूजा का मतलब ही संगीत का बड़ा आयोजन था, जिसकी तैयारी पहले से शुरू हो जाती थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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