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लॉकडाउन : दाने-दाने को तरस रहे हैं दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के मजदूर

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश को 14 अप्रैल तक लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के सामने संकट खड़ा हो गया है. इन मजदूरों के पास काम नहीं है. ट्रेन और बस समेत सभी परिवहन सेवाएं बंद होने के बाद अब घर वापसी का भी कोई विकल्प नहीं बचा है, वहीं बंदी की वजह से खाने-पीने के लिए वे दूसरों पर निर्भर हैं.

पटना : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश को 14 अप्रैल तक लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के सामने संकट खड़ा हो गया है. इन मजदूरों के पास काम नहीं है. ट्रेन और बस समेत सभी परिवहन सेवाएं बंद होने के बाद अब घर वापसी का भी कोई विकल्प नहीं बचा है, वहीं बंदी की वजह से खाने-पीने के लिए वे दूसरों पर निर्भर हैं. तमिलनाडु के त्रिपुर में 100 से अधिक बिहारी मजदूर फंसे हैं. इनमें ज्यादातर मजदूर गारमेंट फैक्टरी में काम करते हैं और इनका कामकाज फिलहाल पूरी तरह से ठप है. बिहार के ये मजदूर अपने गांव आना चाहते हैं. ताकि, अपने गांव में किसी तरह से गुजारी कर पाएं. यहां कोई इनकी मदद करने वाला नहीं है. ये वहां से हिल भी पा रहें. क्योंकि , लॉकडाउन है और बिहार काफी दूर है, कोई इनकी कोई मदद भी नहीं कर रहा ह. मजदूरों ने बताया कि बहुत ही मुश्किल ये यहां पर जीवनयापन कर रहे हैं.

सूरत में भी फंसे हैं मजदूर

गुजरात के सूरत में भी सैकड़ों बिहारी मजदूर फंसे हैं. से लोग छोटो-मोटे कारखानों में काम करते थें और रोज मिलने वाली मजदूरी से ही अपना गुजारा करते थें. लेकिन लॉकडाउन के बाद कारकाना बंद हो गया जिसके कारण इनका पैसा खत्म हो गया और इनकी परेसानी बढ़ती ही जा रही है. गुजरात के डायमंड नगर के मजदूर दीपक कुमार ने फोन पर बात कर फ्रभात खबर को अपनी समस्या बतायी और कहा कि अगर कोई इंतजाम नहीं हुआ तो वो लोग पैदल ही बिहार के लिए चल देंगे.

लाॅकडाउन के कारण लुधियाना और जोधपुर में फसे बेतिया के सैकड़ों मजदूरों की हालत खराब हो रही है. राज्य सरकार द्वारा दिये गये टाल फ्री नंबर पर अधिकारियों से बात नहीं हो पा रही. बेतिया के लौकरिया गांव के चंदन कुमार ने लुधियाना में फोन पर कहा कि हमें घर पहुंचा दीजिये, यहां खाने तक को कुछ नहीं है. श्रम विभाग के टाल फ्री नंबर पर फोन लगाये जाने के सवाल पर चंदन ने कहा कि लगा रहे हैं पर या तो कोई फोन उठाता नहीं है या तो हमेशा इंगेज रहता है. आज तक हमें कोई पूछने नहीं आया है, हम यहां लेजर मशीन चलाते हैं. कपड़ा सिलाई का काम होता है. हम एक ही गांव के आठ लोग हैं . हम घर बात कर रहे हैं तो घर वाले रो रहे हैं. हमें किसी तरह से घर पहुंचा दीजिए हमारे जैसे यहां कम- से- कम 80 से अधिक लोग हैं जो आसपास के गांव के हैं.

दो दिन के बाद मिला है खाना

जोधपुर में काम कर रहे हैं बक्सर के ओम प्रकाश पासवान ने कहा कि हम यहां टेबल – कुर्सी बनाने का काम करते हैं. हमारे साथ बक्सर के 75 लोग हैं और आरा जिला के कम- से- कम सौ से अधिक लोग हैं. हम सभी को खाने-पीने को दिक्कत हो रही है. दो दिन बाद आज यहां के एक व्यक्ति ने 20 पैकेट खाना दिया है और इसमें हम 75 लोगों को बांट कर खाया है. बिहार सरकार के टोल फ्री नंबर पर काफी समय से फोन लगा रहे हैं, लेकिन फोन नहीं लगता. अब हमें समझ में नहीं आ रहा है. हम क्या करें. दुकानदार कहता है कि हमारे पास अब राशन नहीं बचा, ऐसे में हमारी सरकार से बस यही गुहार है कि हमें किसी तरह घर पहुंचा दे, नहीं तो हम ऐसे भी यहां भूखे मर जायेंगे.

Rajat Kumar
Rajat Kumar
Media Person. Five years of experience working in digital media doing videos and writing content. Love to do ground reporting.

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