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Pitru Paksha 2023: गया के इस मंदिर में जीवित लोग खुद का करते हैं पिंडदान, जानिए अनोखी मान्यता..

Pitru Paksha 2023: बिहार के गया जिले में एक मंदिर है. यहां कई लोग अपना खुद का पिंडदान करने पहुंचते है. यहां श्रद्धालु खुद का ही श्राद्ध करते हैं. इस मंदिर की मान्यता हजारों साल पुरानी है. पुराणों में भी मंदिर का जिक्र है.

Pitru Paksha 2023: बिहार के गया जिले में एक प्रसिद्ध मंदिर है. यहां कई लोग अपना खुद का पिंडदान करने पहुंचते है. यहां श्रद्धालु खुद का ही श्राद्ध करते हैं. इस मंदिर की मान्यता हजारों साल पुरानी है. पुराणों में भी मंदिर का जिक्र है. माना जाता है कि जिंदा रहते ही पिंडदान कर लेने से श्राद्ध कर्म की फिर चिंता नहीं होती है.वहीं, गया में विश्वविख्यात पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू होने जा है, यह 14 अक्टूबर तक चलेगा. पितरों की मुक्ति के लिए इन दिनों पिंडदान, तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. वहीं, बता दें कि एक ऐसा भी मंदिर है, जहां लोग खुद का ही पिंडदान करते हैं.

आत्म पिंडदान के तुरंत बाद दान जरूरी

इस हजारों साल पुराने मंदिर में कई लोग पहुंचते है. गयाजी में वर्तमान में 45 वेदियों में से एक वेदी के रुप में यह मंदिर प्रसिद्ध है. यहां लोग आत्म पिंडदान करते हैं. साथ ही भगवान विष्णु जनार्धन स्वामी के रुप में लोगों के पिंड को ग्रहण करते हैं. लोगों की मान्यता है कि आत्म पिंडदान करने पर परलोक में जाने के बाद उन्हें मोझ की प्राप्ति होती है. वहीं, आत्म पिंडदान करने वाले लोगों को धार्मिक तौर पर दान, कर्मकांड आदि करने पड़ते हैं. इसे आत्म पिंडदान के तुरंत बाद ही किया जाता है.

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आठ से दस लाख तीर्थयात्री पहुंचते हैं गयाजी

माना जाता है कि पितृपक्ष मेला में परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार से लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त होता है और वह पिंडदान- श्राद्ध कर्म करने की इच्छा से अपनी संतान के पास रहते हैं. पूरे देश भर में 50 से अधिक स्थानों को पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन, बिहार का गया जिला सर्वोपरि है. गया में 15 दिनों के अंदर में देश के विभिन्न राज्यों से करीब आठ से दस लाख तीर्थयात्री आते हैं.

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सन्यासी और साधु लोग करते हैं आत्म पिंडदान

साल 2023 में 28 सितंबर से पिंडदान प्रारंभ हो रहा है. ऐसे में यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है. वहीं, आत्म पिंडदान वह लोग करते है, जिनकी कोई संतान नहीं होती है. आत्म पिंडदान करने का दूसरा कारण यह भी है कि इन्हें लगता है कि मरने के बाद इनका पिंडदान कोई भी नहीं करेगा. इनके अलावा काफी संख्या में सन्यासी और साधु लोग भी यहां पिंडदान करने के लिए आते है.

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यहां भगवान जनार्धन दाहिने हाथ से पिंडदान ग्रहण करते हैं. यहां वह लोग पिंडदान करते है, जिन्हें लगता है कि कोई उनका पिंडदान नहीं करेगा. यहां के पुजारी जानकारी देते है कि पुराणों में इस मंदिर का जिक्र है. इस मंदिर की मान्यता अनोखी है. लोगों में मंदिर को लेकर आस्था भी है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है. इस मंदिर की यह भी खासियत है कि यह एक चट्टान पर बना हुआ है. यहां भगवान विष्णु की जनार्धन के रुप में प्रतिमा है. लोग मानते है कि यहां उनकी हर मान्यता पूरी होती है.

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बताया जाता है कि जन्माष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है. आत्म पिंडदान को लेकर यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि जन्माष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है. आत्म पिंडदान को लेकर यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. वहीं, पिंडदान के बारे में बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी कारणवश हो जाती है तो उनकी आत्मा भटकती रहती है. इस आत्मा की शांति के लिए लोग पिंडदान किया जाता है. श्राद्ध कर्म करना पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. आत्मा की शांति के बाद पूर्वज सिद्धेश्वर लोक जाते हैं और वहां से अपने परिवार को कल्याण का आशीर्वाद देते हैं. इसी कारण कई लोग गया जी में पिंडदान करने आते हैं.

Sakshi Shiva
Sakshi Shiva
Worked as Anchor/Producer from March 2022 to January 2023 at DTV Bharat TV channel. Have worked with Sixth Sense weekly newspaper from August 2021 to January 2022. Have done 21 days internship at Clinqon India as a Social media intern. Post Graduated in Journalism and Mass Communication from Central University of South Bihar, Gaya. Graduated in English from Purnea Mahila College, Purnea.

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