विश्व बालश्रम निषेध दिवस आज
धड़ल्ले से उड़ायी जा रही श्रम कानून की धज्जियांपूर्णिया. दुनिया चाहे आज लाख तरक्की कर ले लेकिन आज भी बालश्रम संपूर्ण जगत में मानवता के खिलाफ एक अभिशाप बना हुआ है. हालांकि सरकार ने किसी भी प्रकार के बालश्रम में संलग्न बच्चों के संरक्षण के साथ साथ इनसे काम लेने वालों के खिलाफ सख्त क़ानून बनाये हैं बावजूद इसके आज भी हमारे समाज के कई क्षेत्रों में उन बच्चों से काम लिया जा रहा है जो अभी नाबालिग हैं और जिनकी उम्र स्कूल जाने की है. जिले में भी नाबालिग बच्चों से काम लिया जाना एक दस्तूर बना हुआ है. सख्त क़ानून की धज्जियां उड़ाते इनके नियोजक बेधड़क इनसे काम ले रहे हैं. चाहे किसी गराज में ये नन्हें हाथ इंजिनों की साफ़ सफाई या नटबोल्ट के लिए नाच रहे हों या किसी राशन की दूकान पर सामानों का बोझ उठा रहे हों. या फिर ढाबे, होटल, मेले, पार्टी अथवा घरेलू उत्सवों में किसी की जूठन साफ़ करते या फिर वहां बर्तन मांजते हों. मुख्य रूप से अल्प समय के लिए इन बच्चों से काम लिया जाने वाला सेक्टर है पार्टी कैटरर सर्विस जहां ये बच्चे अच्छा भोजन और कुछ कमाई की लालच में देर रात तक काम करते हुए नजर आते हैं. पार्टी की गहमागहमी और रात होने की वजह से इनकी ओर लोगों का कम ही ध्यान जाता है. या फिर इनकी ड्यूटी वैसे स्थानों पर लगाई जाती है जहां किसी का आना जाना नहीं होता है. मुख्य रूप से सस्ते और अस्थायी कैटरर सर्विस वाले इन बच्चों के नियोजक होते हैं. हालांकि कड़े कानूनों और श्रम विभाग की कोशिशों की वजह से बालश्रम जैसे मामलों में कमी आयी है लेकिन यह प्रथा समाप्त नहीं हो सकी है.10 वर्षों में लगभग चार सौ बाल मजदूर हुए मुक्त
श्रम विभाग श्रमिकों के मामले में बनाए गये क़ानून के अनुपालन में बेहद सक्रिय रहा है. लेकिन नाबालिग बच्चों के मामले में कुछ और सजगता की जरुरत है. जबकि इसके लिए विभाग द्वारा धावादल की टीम भी गठित है जो प्राप्त सूचना के आधार पर सम्बंधित स्थल की जांच करती है और मामला सही पाए जाने पर नियोक्ता पर विधिसम्मत कार्रवाई करते हुए बच्चों का रेस्क्यू करती है. लेकिन केटरर सर्विस वाले मामले में विभाग का प्रयास कारगर साबित नहीं हो रहा है. हालांकि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न कार्य क्षेत्रों और स्थलों से विगत दस वर्षों में श्रम विभाग ने 398 बाल मजदूरों को मुक्त कराते हुए उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं का लाभ भी दिलाया है जिनमें कुछ प्रक्रियाधीन भी है. जबकि इनके 65 नियोजकों को 20-20 हजार रूपये की पेनाल्टी एवं 92 नियोजकों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है.आंकड़ों का आईना
रेस्क्यू किये गए बच्चेवर्ष 2021 – 22 – कुल 07 बच्चे
वर्ष 2022 – 23 – कुल 23 बच्चेवर्ष 2023 – 24 – कुल 55 बच्चे
वर्ष 2024 – 25 – कुल 43 बच्चेबोले अधिकारी
हर सप्ताह विभाग द्वारा धावादल की टीम इलाके का मुआयना करती है. बालश्रम मामले में शामिल बच्चों को छुडाकर सीडब्ल्यूसी एवं बाल कल्याण समिति के हवाले किया जाता है. उन बच्चों के लिए सरकार द्वारा आर्थिक मदद की भी व्यवस्था है. उनके पुनर्वास से लेकर भविष्य संवारने जैसे कार्य किये जाते हैं. उन्हें तत्काल सरकारी सहायता राशि से लेकर 18 वर्ष की आयु होने तक एक बड़ी राशि सावधि जमा कराए जाने के साथ साथ उन्हें स्कूलों से भी जोड़ने का कार्य किया जाता है.जगन्नाथ पासवान, श्रम अधीक्षक, पूर्णिया
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