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जिले में फिर बढ़ा सर्दी, खांसी व वायरल फीवर के साथ साथ डायरिया का केस

तेज बुखार के साथ चमकी के भी लक्षण

किसी में तेज बुखार के साथ चमकी के भी लक्षण

पूर्णिया. जिले में एकबार फिर सर्दी, खांसी, वायरल फीवर के साथ साथ छोटे बच्चों में डायरिया का प्रकोप बढ़ गया है. बदलते मौसम का असर एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है. कभी बादल तो कभी तेज धूप ने विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ा दी है. इस वजह से सर्दी, खांसी के साथ साथ वायरल फीवर और डायरिया के मामलों में इजाफा हुआ है. स्थानीय लाइन बाजार स्थित निजी चिकित्सकों सहित राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में भी बड़ी संख्या में सर्दी, खांसी और वायरल फीवर के मरीज पहुंच रहे हैं. जबकि छोटे बच्चों में भी इन समस्याओं को लेकर इलाज के लिए जीएमसीएच आने वालों की बड़ी संख्या है. यही हाल जिले सहित लगभग सभी स्वास्थ्य केन्द्रों और रेफरल अस्पतालों में भी बनी हुई है. दूसरी ओर जीएमसीएच स्थित बच्चा वार्ड व बरामदे में लगे लगभग सभी बेड फुल हैं.

प्रतिदिन लगभग 150 बच्चे पहुं

च रहे एमसीएच ओपीडीजी

छोटे बच्चों में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर इलाज के लिए ओपीडी पहुंचने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. उनमें भी ख़ास तौर पर सर्दी, खांसी, वायरल फीवर और डायरिया के मामले में भी संख्या बढ़ी है. फिलहाल प्रति दिन एक सौ से लेकर डेढ़ सौ तक बच्चे इलाज के लिए जीएमसीएच की ओपीडी में पहुंच रहे हैं जबकि लगभग पचास प्रतिशत सर्दी खांसी, वायरल फीवर एवं डायरिया के केस में आनेवाले बच्चों का है. उधर कुछ वायरल फीवर के साथ चमकी एवं कुछ गंभीर स्थिति वाले बच्चों को भी बच्चा वार्ड में एडमिट रखा जा रहा है जहां इलाज के बाद स्थिति को देखते हुए बच्चों को अस्पताल से छुट्टी भी दी जा रही है लेकिन लगातार पीड़ित बच्चों के आने से फिलहाल बच्चा वार्ड सहित उसके बरामदे की भी सीट फुल हैं.

इलाज और सुरक्षा दोनों जरुरी

बच्चों पर इस मौसम का असर ज्यादा देखा जा सहा है. उनमें सर्दी खांसी और वायरल फीवर के अलावा कुछ मामलों में डायरिया के भी केस भी सामने आये हैं. चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे मौसम में अमूमन इस तरह की समस्या आम है. जहां तहां जमे पानी की वजह से भी सडन गलन की समस्या बढ़ती है जिससे संक्रमण के फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. उनका यह भी कहना है कि इस प्रकार का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्द फैलता है. इस वजह से संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है जबकि डायरिया में डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा रहता है. सुरक्षा के तौर पर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बच्चों को रोकें. वहीं तपती गर्मी में तेज धूप से बचाव के साथ साथ भरपूर पानी का सेवन करना भी जरूरी है.

चिकित्सीय सलाह

घरों और आसपास की स्वच्छता संक्रमित व्यक्ति से दूरी भोजन और पेयजल ताजा और स्वच्छ रहे बासी और दूषित भोजन से परहेज छह महीने तक बच्चों को नियमित स्तनपान खाली पेट बाहर न निकलें धूप से बचने का उपाय जरुर करें

डायरिया हो जाने पर

मरीज का निर्जलीकरण न होने दें.

ओआरएस अथवा नमक चीनी पानी का घोल बनाकर देते रहें. जितनी जल्दी हो सके मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं.

बोले चिकित्सक

बदलते मौसम का असर तो बच्चों पर पड़ता ही है इसलिए उनका केयर बहुत जरुरी है. इनमें विशेष रूप से जो बच्चा जन्म से ही कमजोर है उसपर तो और भी ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है. बच्चों को किसी भी संक्रमण एवं संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए. खान पान और रहन सहन में हमेशा स्वच्छता रखें. डायरिया के केस में ओआरएस घोल, दवा और शीघ्र चिकित्सक की सलाह जरुरी है.

डॉ. प्रेम प्रकाश, पेडीयाट्रिक्स विभाग, जीएमसीएच फोटो -28 पूर्णिया 4

फोटो – जीएमसीएच स्थित बच्चा वार्ड

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