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बदलते मौसम में बच्चों पर शुरू हुआ हाईफीवर व चमकी का अटैक

बच्चों में बढ़ गयी चमकी की शिकायत

तेज बुखार के साथ बच्चों में बढ़ गयी चमकी की शिकायत

डायरिया, हीटवेव, सर्दी खांसी के मरीज पहुंच रहे अस्पताल

अप्रैल में तेज बुखार व चमकी के आधा दर्जन रोगी जीएमसीएच आए

पूर्णिया. स्वास्थ्य मामले में बदलता मौसम धीरे-धीरे प्रभावी हो रहा है. जिले में अभी से ही छोटे बच्चे हीटवेव के निशाने पर हैं. नतीजतन बच्चों पर हाईफीवर और चमकी का अटैक होने लगा है. मौसम के गरमाते तेवर के साथ ही राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में इन दिनों डायरिया, हीटवेव, सर्दी खांसी के मरीजों का भी आना जारी है. चालू माह में अबतक लगभग आधा दर्जन तेज बुखार के साथ चमकी की शिकायत वाले बच्चों को जीएमसीएच भर्ती किया गया.डाक्टरों ने मौसम के बदलाव के दौरान सावधानी बतरने की जरुरत बतायी है.

उपलब्ध जानकारी के अनुसार जीएमसीएच आए हाईफीवर और चमकी से पीड़ित बच्चों में बेहोशी अथवा किसी तरह का गंभीर मामला नहीं पाया गया और सभी को दो से चार दिनों में इलाज के बाद घर भेज दिया गया. इन बच्चों में तेज बुखार के बाद चमकी की शिकायत पायी गयी. बच्चा वार्ड के कर्मियों ने बताया कि इन दिनों डायरिया, सर्दी, खांसी, हाई फीवर को लेकर बच्चे भर्ती किये जा रहे हैं. इन्हीं में से कुछ बच्चों में हाईफीवर के बाद चमकी के भी लक्षण प्रकट हो रहे हैं जिन्हें विशेष ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है और इलाज के बाद छुट्टी दे दी जाती है. चमकी की शिकायत वाले बच्चों में आठ माह से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं. इधर बच्चा वार्ड में लगभग सभी बेड पर मरीज भरे हुए हैं.

फीवर हाई हो तो अविलम्ब चिकित्सक से मिलें

चिकित्सकों का कहना है कि साधारण तौर पर चमकी की शिकायत अमूमन हाईफीवर में आती है जैसे ही यह लक्षण दिखे मरीज को अविलम्ब चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. ख़ास तौर पर जब शरीर का तापमान 102 से ऊपर चला जाता है तो अलर्ट रहें. हालांकि चमकी आने के कई और भी कारण हो सकते हैं. वायरल, बैक्टेरियल इन्फेक्शन के अलावा मलेरिया के कुछ मामलों में भी चमकी की शिकायत होती है. कुछ मामलों में बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट की कमी से भी कन्वर्जन की समस्या आती है. जिसे सीटी स्कैन, सीएसएफ जांच आदि के बाद ही स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है.

बोले चिकित्सक

यह मौसम चमकी के अनुकूल है तापमान में उतार चढ़ाव की वजह से ऐसे हालात बनते हैं. कभी कभी हीट स्ट्रोक की वजह से शरीर के थर्मल कंट्रोल का संतुलन बिगड़ जाता है और चमकी के लक्षण प्रकट होते हैं. ऐसे मरीजों को दवाई के साथ साथ हवादार जगह पर रखते हुए पानी की पट्टी, एसी कूलर वगैरह की व्यवस्था करनी चाहिए. बुखार की स्थिति में शरीर में पानी की बेहद कमी हो जाती है उसे मेंटेन रखने के लिए ओआरएस घोल लगातार देने की जरुरत होती है.

डॉ. प्रेम प्रकाश, एचओडी पीडियाट्रिक्स, जीएमसीएच

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