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सोमवारी पर सौरा में कैसे हो आस्था का स्नान, नदी में हो रही कचरों की धुलाई

नदी में हो रही कचरों की धुलाई

सिटी के सौरा घाट में कचरा ढोने वाली गाड़ियां फैला रही गंदगी

आज मध्य रात से ही यहां लगने वाला है शिवभक्तों का जमघट

जिला प्रशासन से शीघ्र संज्ञान लेने का आग्रह, धुलाई पर लगे रोक

पूर्णिया. सिटी के जिस सौरा नदी घाट पर भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं वहां कचरा ढोने वाली गाड़ियों की गंदगी की धुलाई कर नदी के पानी को मैला और प्रदुषित किया जा रहा है. इससे न केवल नदी के पानी में गंदगी फैल रही है बल्कि आसपास दुर्गन्ध भी फैल रहा है. इससे स्थानीय लोगों में रोष बढ़ रहा है. लोगों का कहना है कि सावन की सोमवारी पर इस साल शिवभक्तों का नदी स्नान मुश्किल हो जाएगा. लोगों को इस सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं कि जब केन्द्र और राज्य सरकार जल प्रदूषण को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है तो कचरों की धुलाई किसके आदेश से हो रही है. स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन से इस पर शीघ्र संज्ञान लेने का आग्रह किया है.

गौरतलब है कि सावन के महीने में सिटी के सौरा नदी घाट पर हर सोमवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. यहां लोग सौरा नदी के पानी को ही गंगाजल मानते हैं. यही वजह है कि गांवों के लोग कांवर में यहां से जल लेकर अपने गांव के मंदिर में चढ़ाते हैं जबकि बड़ी संख्या में लोग नदीस्नान कर नदी तट पर स्थित शिवालय में जलाभिषेक करते हैं. मगर, इस साल जिस तरह दुर्गन्धयुक्त कचरों वाली गाड़ियों की धुलाई हो रही है उससे परेशानी बढ़ रही है. आलम यह है कि यहां श्रद्धा की डुबकी लगाने में भी लोग संकोच कर रहे हैं. पुल के नीचे और दोनों तरफ नदी के किनारे गंदगी पसरी नजर आ रही है. यहां स्नान करने वाले लोग कहते है कि पानी में नहाने से कभी-कभी शरीर खुजलाने लगता है.

नदी का घाट नहीं, कहां होगा स्नान!

दरअसल, यहां काली घाट और जगन्नाथ मंदिर घाट पर सावन के महीने में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. भक्त नदी स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं. इस बार परेशानी यह है कि जिस काली घाट पर लोग स्नान करते थे वहां आधा अधूरा निर्माण के रुप में एक दीवार खड़ी है जिससे घाट का अस्तित्व नहीं बचा है. उधर जगन्नाथ घाट पर कचरों को धुलाई हो रही है जिससे पानी मैला हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सौरा नदी से सबकी आस्था जुड़ी हुई है. इस लिहाज से भी नदी की सफाई पर फोकस किया जाना चाहिए.

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