पूर्णिया. चैत्र नवरात्र में इस साल फिर कसबा के गुप्त काली मंदिर में देवी मां का दरबार सज गया है. कोशी और पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में यह अकेला मंदिर है जहां एक साल में चार नवरात्र की पूजा होती है. पूजनोत्सव के इस आयोजन में काफी दूर दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और मत्था टेकते हैं. यहां महिलाओं के पूजन और हवन की भी व्यवस्था की जा रही है. जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित कसबा के कुम्हार टोली में गुप्त काली मंदिर है जहां मां काली के साथ देवी दुर्गा के सभी नौ रुपों के साथ देवी त्रिपुर सुन्दरी की प्रतिमा भी प्रतिष्ठापित है. ऐसी मान्यता है कि यहां देवी का जागृत स्वरुप है और यही वजह है कि चारों नवरात्र में यहां देवी की पूजा अर्चना और दर्शन के लिए दूर दूर से भक्त पहुंचते हैं. एक खास बात यह है कि यहां नवमी की तिथि को पूजन अनुष्ठान के बाद व्यापक रूप से हवन किया जाता है जिसमें महिलाओं की सर्वाधिक भागीदारी हुआ करती है. गुप्त काली मंदिर के प्रधान पुजारी शंकर पंडित उर्फ भगत जी बताते हैं कि कलश की स्थापना के साथ अनुष्ठान भी शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि इस बीच लगातार मंत्रोच्चार के साथ देवी की पूजा होगी और नियमित पाठ भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि विधि विधान के साथ पूजा कराने के लिए विद्वान पंडितों की टीम बुलायी गई है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर की पहचान शक्तिपीठ के रूप में है और इसी वजह से साल के चारों नवरात्र को पूजन अनुष्ठान किया जाता है.
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