पूर्णिया. बहुजन क्रांति मोर्चा के प्रमंडलीय प्रभारी सह राजद के वरिष्ठ नेता प्रो. आलोक कुमार ने बयान जारी कर बिहार की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा चुनावी वर्ष के अंतिम समय में गरीब बुजुर्गों, विधवाओं एवं दिव्यांगों के लिए 1100 रुपये प्रतिमाह करने के निर्णय को कमर तोड़ महंगाई के दौर में काफी न्यूनतम बताया है. जिस तरह गरीबों के लिए मुफ्त में 5 किलो राशन देकर वोट बटोरने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, यह गरीबों का अपमान है. शिक्षा, बेरोजगारी एवं पलायन को रोकने के लिए कोई कारगर योजना एनडीए सरकार के पास नहीं है. पूर्व की महागठबंधन सरकार के जातीय जनगणना के आंकड़े के आधार पर बिहार के पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्गों के लिए की गयी घोषणा, जिसमें आरक्षण की सीमा को 65 प्रतिशत की गयी, उसे भाजपा के लोगों ने न्यायालय में ले जाकर स्थगित करवा दिया है, इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने आप को कोई निर्णय लेने में असमर्थ एवं लाचार साबित हो रहें हैं. आरक्षण जैसे संवैधानिक मामले को जब तक संविधान की 9वीं अनुसूची में नहीं डाला जायेगा तब तक आरक्षण न्यायालय में धूल फांकता रह जायेगा. प्रो आलोक ने कहा कि महागठबंधन के दलों ने महिलाओं के लिए माई बहन योजना के तहत 2500 रुपये सत्ता में आने के बाद देने की बात की है, जो सम्मान जनक है. जातीय जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 65 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों और अतिपिछड़ों को देने की घोषणा की गयी है, जो सराहनीय है. बेरोजगारों को स्थायी नौकरी, 200 यूनिट बिजली फ्री, 500 रुपये प्रतिमाह सिलिंडर रसोई गैस देने की घोषणा से आम लोगों का आकर्षण बदलाव की ओर दिख रहा है. प्रोफेसर आलोक ने सरकार से दिव्यांगों, विधवाओं व वृद्धजन को न्यूनतम पांच हजार रुपये पेंशन देने, किसानों के कर्ज माफी एवं न्यूनतम दो प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने और विद्यालयों में कार्यरत रसोइयों को न्यूनतम दस हजार रुपए देने की मांग की है.
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