एक साल में छोटी-बड़ी 50 परीक्षाओं की प्रक्रिया पूरी करने की है परीक्षा विभाग पर जिम्मेवारी
पूर्णिया. बमुश्किल 10 दिन पहले कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने यह जाहिर किया था कि विवि परीक्षा विभाग की कार्यक्षमता घट गयी है. अब परीक्षा नियंत्रक प्रो. अरविंद कुमार वर्मा ने स्वयं आगे आकर स्वास्थ्य व घरेलू कारणों का हवाला देते हुए पदमुक्त करने का आग्रह विवि प्रशासन से किया है. ऐसे में विवि प्रशासन की चुनौती विकट हो गयी है. विवि प्रशासन को जहां परीक्षा विभाग की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए तमाम कदम उठाने पड़ रहे हैंं. वहीं परीक्षा नियंत्रक को लेकर भी निर्णय लेने का दबाव बढ़ गया है. गौरतलब है कि पूर्णिया विवि में एक साल में आमतौर पर छोटी-बड़ी करीब 50 परीक्षाएं होती हैं. इनमें यूजी की बड़ी परीक्षाएं शामिल हैं. इसके अलावे पीजी, पीएचडी कोर्सवर्क, वोकेशनल कोर्सेस आदि की परीक्षाएं शामिल है. इसमें पैट परीक्षा और इंटरव्यू भी जुड़ गया है. इन परीक्षाओं के लिए परीक्षा फॉर्म भरने, परीक्षा का संचालन, मूल्यांकन, टैबुलेशन, रिजल्ट समेत सारी प्रक्रिया करनी पड़ती है. फिर त्रुटियों और छात्रहित को देखते हुए पुन: परीक्षा और पुन: मूल्यांकन की परंपरा भी कायम हो गयी है. ऐसे में परीक्षा नियंत्रक की सेहत का प्रश्न विवि प्रशासन के लिए जटिल बन गया है.नियुक्ति के वक्त ही सेहत पर परीक्षा नियंत्रक ने कर दिया था सचेत
परीक्षा नियंत्रक प्रो. अरविंद कुमार वर्मा की मानी जाये तो ढाई महीने पहले उन्हें जब परीक्षा नियंत्रक बनाया जा रहा था तभी उन्होंने विवि प्रशासन को अपनी सेहत और घरेलू कठिनाई से अवगत करा दिया था. उस वक्त विवि प्रशासन ने आश्वस्त किया था कि तात्कालिक व्यवस्था में उन्हें यह पदभार दिया जा रहा है. निकट भविष्य में विवि की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था कर ली जायेगी. इसलिए अब उन्होंने परीक्षा नियंत्रक के पद से पदमुक्त करने के लिए विवि प्रशासन से आग्रह किया है.खराब सेहत के पदाधिकारियों को मूल कॉलेज लौटाने की मांग
इस बीच, पूर्णिया विवि में कार्यरत अन्य पदाधिकारियों के स्वास्थ्य जांच की मांग उठने लगी है. छात्र नेता राजा कुमार ने विवि प्रशासन से मांग की है कि वह कार्यरत पदाधिकारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराये. साथ ही स्वास्थ्य जांच के बाद हेल्थ बुलेटिन सार्वजनिक करें. छात्र नेता राजा कुमार ने बताया कि जो पदाधिकारी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनकी सेवा मूल महाविद्यालयों को लौटा देनी चाहिए. पदाधिकारी की सेहत की कीमत पर विवि का संचालन करना और उससे छात्रों के लिए समस्या उत्पन्न करना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. उसके बाद विवि प्रशासन ने उन्हें पदमुक्त कर दिया था. इसी प्रकार से अन्य पदाधिकारियों के स्वास्थ्य की समीक्षा कर विवि प्रशासन को अग्रेतर कार्रवाई करने की जरूरत है.परीक्षा विभाग की कार्यक्षमता में वीसी ने पायी ये कमियां
– परीक्षा विभाग में आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारी, फिर भी कार्यों के निष्पादन में अपेक्षित गति में कमी- कुछ और पदाधिकारियों को परीक्षा विभाग के काम में लगाये जाने की आवश्यकताडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है