बिहार के पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच लोगों को पहले बेरहमी से पीटा गया और उसके बाद पेट्रोल छिड़क कर सबको जिंदा जला दिया गया. हत्या के बाद शवों को ट्रैक्टर में लादकर मृतकों के घर से दूर बहियार में जाकर ठिकाने लगा दिया गया. घटना पूर्णिया पूर्व प्रखंड की रजीगंज पंचायत के टेटगामा आदिवासी टोला की है. डायन के शक में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया. घटना के बाद से इस बस्ती के सभी पुरुष घर छोड़कर फरार हैं. हत्या के पीछे सोची-समझी साजिश लग रही है.
सोची-समझी साजिश थी अंधविश्वास में पांच लोगों की हत्या
पूर्णिया के टेटगामा आदिवासी टोला की यह घटना रविवार रात की है. पांच लोगों की हत्या की इस घटना से पूरा कोसी-सीमांचल क्षेत्र सिहर गया. अंधविश्वास से पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया गया. यह घटना एक सोची-समझी साजिश के तहत की गयी. इस बस्ती में तीन बच्चों की मौत हुई थी. जिसके बाद इस परिवार को पूरी तरह खत्म करने की प्लानिंग गांव के लोगों ने तैयार कर ली थी.

समय भी सोचकर तय किया, शवों को ठिकाने लगाने का जगह भी तय हुआ
इस परिवार को मौत के घाट उतारने के लिए उस समय को चुना गया जब पुलिस धार्मिक जुलूस में सुरक्षा-व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटी थी. शवों को ठिकाने लगाने के लिए ट्रैक्टर का इंतजाम पहले ही कर लिया गया था. 40 हजार रुपए भाड़े में यह डील हुई थी. शवों को ठिकाना लगाने के लिए दरगाह घेसरिया बहियार के उस जगह को चूना गया था जहां रास्ते में गड्ढे और कीचड़ हैं. ताकि ट्रैक्टर या दोपहिया छोड़कर किसी पदाधिकारी की गाड़ी या पुलिस वाहन नहीं जा सके. शव मिलने पर पुलिसकर्मी पैदल या बाइक से ही यहां गए भी.

बस्ती में पसरा सन्नाटा, सारे पुरुष फरार
पांच लोगों को पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जलाया गया, लेकिन एक बच्चा सोनू अपनी जान बचाकर भाग निकला. वो अपनी नानी के घर बेगमपुर पहुंचा. वहां से उसे लेकर परिजन पुलिस तक पहुंचे तो मामले का खुलासा हुआ. ट्रैक्टर चालक धराया तो उसने पुलिस को बताया कि शव कहां ठिकाने लगाए गए. वहीं पुलिस जब बच्चे सोनू की सूचना पर सोमवार को बस्ती पहुंची तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था. बस्ती के सारे लोग मौके से फरार थे.
