पूर्णिया. राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में सोमवार को न्यूरो विज्ञान विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी. जीएमसीएच के मेडिकल एजुकेशन यूनिट के तत्वावधान में सीएमई (चिकित्सा शिक्षा) के तहत आयोजित यह संगोष्ठी सम्पूर्ण रूप से न्यूरोसाइंस विषय पर केन्द्रित रहा. इसके अंतर्गत चिकित्सकों, इंटर्न डॉक्टर्स और फैकल्टी सदस्यों को न्यूरोलॉजिकल रोगों तथा ट्रॉमा के आधुनिक प्रबंधन के संबंध में विस्तार से समझाया गया. चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डॉ. हरिशंकर मिश्रा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे जबकि मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ परामर्शदाता एवं न्यूरोसर्जन डॉ. नवनीत कुमार सिंह तथा न्यूरोलॉजिस्ट डॉ एमएम समीम मौजूद रहे. मौके पर मेडिकल एजुकेशन यूनिट के समन्वयक डॉ. अभय कुमार भी उपस्थित थे. प्राचार्य डॉ. हरिशंकर मिश्रा ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि न्यूरोलॉजिकल चिकित्सा की सटीकता और संवेदनशीलता अत्याधिक महत्वपूर्ण होती है. ऐसे अकादमिक मंचों के माध्यम से युवा चिकित्सकों में व्यवहारिक ज्ञान और निदान की दक्षता वृद्धि होती है. इस मौके पर आये विशेषज्ञ चिकित्सकों ने न्यूरो विज्ञान विषय पर बारीकी से अपने वक्तव्य दिए. डॉ. नवनीत कुमार सिंह ने स्पाइनल ट्रॉमा एवं हेड ट्रॉमा पर व्याख्यान देते हुए सिर एवं रीढ़ की चोटों के त्वरित निदान और उपचार पर बल दिया. इस दरम्यान उन्होंने जटिल सर्जरी के तकनीकी पक्षों को भी साझा किया. वहीं डॉ. एमएम. समीम ने एपिलेप्सी यानि संभावित मिर्गी के लक्षणों के आधार पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे मिर्गी जैसे लक्षण कई बार अलग अलग रोगों से उत्पन्न हो सकते हैं और गलत निदान से बचने के क्या उपाय हैं. इस मौके पर अपने संबोधन में डॉ. अभय कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य इंटर्न्स और फैकल्टी को वास्तविक केस-आधारित ज्ञान से जोड़ना है जिससे उनका क्लिनिकल आत्मविश्वास और कौशल दोनों बढ़ सके. इस संगोष्ठी के समापन से पहले एक ओपन डिस्कशन सत्र का भी आयोजन किया गया. इस डिस्कशन सत्र में इंटर्न डॉक्टर्स और फैकल्टी सदस्यों ने वक्ताओं से अनेक महत्वपूर्ण एवं गहन चिकित्सकीय प्रश्न पूछे. इस दौरान विशेष रूप से न्यूरोइमेजिंग, पोस्ट-ट्रॉमेटिक एपिलेप्सी, सर्जिकल निर्णय और न्यूरोलॉजिकल भ्रम स्थितियों पर गहन चर्चा हुई. इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के फैकल्टी सदस्य एवं सभी इंटर्न डॉक्टर्स उपस्थित रहे.
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