Samastipur News:विद्यापतिनगर : आस्था का केंद्र विद्यापतिधाम में श्रावणी मेला के आहट की अनुगूंज सुनाई पड़ रही है. शिवभक्तों की कांवर सजने लगी है. बाजार में भगवा वस्त्र का भरमार दिख रही है. गंगा तटों पर छोटी बड़ी दुकानें स्थायी स्वरूप ले रही है. श्रद्धालुओं के मन में देवाधिदेव की भक्ति अंगराई लेने लगा है. आज से आठ दिन बाद शिव मंदिरों में जलाभिषेक की सांस्कृतिक परम्परा परवान चढ़ने लगेगी. ऐसे में विद्यापतिधाम के चहुंओर गंदगियों का अंबार भक्तिभाव को फिल्वक्त तार-तार कर रहा है. बताते चलें कि स्वच्छता के साथ आंख मिचौनी के खेल में विद्यापतिधाम में धीरे-धीरे कूड़े कचरे का ढेर इस कदर जमा हो जाता है कि सावन मास के आते ही इसकी बदबू तमाम धार्मिक उद्देश्यों पर विराम लगा जाता है. मंदिर पर कथित अधिकार जमाने वाले कि पांडा पुजेरी स्वच्छता को दर किनार कर सालों भर अर्थोपार्जन में मशगूल होते हैं. परिणाम स्वरूप मंदिर परिसर के चहुंओर गंदगियों का अंबार लग जाता है. गौरतलब है कि देश में स्वच्छता को एक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया गया है. पीएम मोदी ने अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी जयंती अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. ऐसे लेकर देश के कोने कोने में जागरूकता अभियान निरंतर चलाया गया. इस अभियान की सफलता में आम नागरिक,सरकारी संस्थाओं,गैर सरकारी संगठनों और मीडिया की अहम भूमिका रही है. स्वच्छता ही सेवा जैसे विशेष अभियान चलकर सरकार ने इसे एक जन आंदोलन में बदल दिया है. पर महत्वगामी अभियान के एक दशक बाद भी विद्यापतिनगर प्रखंड इसके मूल भाव से अछूता है. खुले में शौच से मुक्त यहां सरकारी फाइलों की शोभा बढ़ा रहा है तो सरकारी व धार्मिक संस्थान स्वच्छता से अलग थलग दिखाई पड़ता है. प्रखंड क्षेत्र का विद्यापतिधाम उगना महादेव मंदिर मिथिला का आस्था का केंद्र कहा जाता है. जहां स्वच्छता अभियान हर वख्त अछूता दिखाई पड़ता है. श्रावणी मेला विद्यापतिधाम की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है. जहां गंदगियों का अंबार भक्तिभाव को कुंठित कर जाता है.
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