Samastipur News:समस्तीपुर : शिक्षा विभाग ने भले ही यह आदेश जारी कर दिया हो कि जिले के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में वरीय शिक्षक प्रभारी की भूमिका में रहेंगे और कनीय उनके अंडर में लेकिन, जिले के अधिकतर विद्यालयों में स्थिति इसके विपरीत है. यहां कनीय प्रभारी बने हुए हैं और वरीय जी-हुजूरी कर रहे हैं. खासकर माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में. ऐसे में शिक्षकों में असंतोष के भाव उभर रहे हैं. अधिकतर विद्यालयों में माध्यमिक शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं. जबकि, वहां उनसे वरीय शिक्षक के रूप में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक मौजूद हैं. ऐसे में उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों में आक्रोश पनप रहा है. जिला के दर्जनों माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय में अभी भी कनीय शिक्षक के प्रभारी बने रहने की बाते सामने आ रही है. वहीं प्रभारी एचएम बनने को लेकर प्रतिदिन शिक्षकों का आवेदन डीईओ कार्यालय को दिया जा रहा है. जिसमें वरीयता को दरकिनार कर कनीय को प्रभारी एचएम पद पर बने रहने की शिकायत की जा रही है. शिक्षकों का कहना है कि डीईओ कार्यालय प्रभारी बनाने में नियमों की अनदेखी कर रहा है. उच्च माध्यमिक के शिक्षक के रहने के बावजूद माध्यमिक के शिक्षक को प्रभार का आदेश दिया जा रहा है. जिला के खासकर राजकीयकृत उच्च माध्यमिक विद्यालयों में यह स्थिति सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है. जिला में जहां प्रभारी एचएम बनने को लेकर जोड़-तोड़ और आपसी रंजिश दिखाई पड़ रहा है वही बीपीएससी उत्तीर्ण एचएम अभ्यर्थी शिक्षक छः माह से ऊपर से पदस्थापन के इंतजार में टकटकी लगाये हुए हैं. जिला में करीब दो सौ से अधिक बीपीएससी एचएम उत्तीर्ण अभ्यर्थी हैं. शिक्षकों का कहना है कि पिछले जून 2024 में बीपीएससी द्वारा परीक्षा का आयोजन किया गया था. नवंबर में रिजल्ट का प्रकाशन एवम दिसम्बर में विभाग द्वारा काउंसिलिंग भी कराया गया. लेकिन छः माह बीत जाने के बाद भी अभी तक पदस्थापन नहीं किया गया है. जबकि मुख्यमंत्री ने भी ऐतिहासिक गांधी मैदान में सार्वजनिक तौर पर अप्रैल में पदस्थापन की बात कह चुके हैं. वही अपर मुख्य सचिव ने भी 22 मई तक विद्यालय आवंटन करने की बात कही. इसके बावजूद अभी तक शिक्षक अभ्यर्थी पदस्थापन का इंतजार कर रहे हैं. जो विभाग के कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़ा कर रहा है. जानकारों की माने तो विभाग को पहले एचएम का पदस्थापन करना चाहिए था जिससे विद्यालय में विषयवार रिक्ति बनती और ट्रांसफर में सहायक सिद्ध होती. साथ ही विद्यालय में प्रभारी बनने और बनाने के खेल पर विराम लग जाता. अब देखना है कि शिक्षा विभाग एचएम का पदस्थापन कबतक पूरा कर पाती है.
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