Samastipur News:पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के सभागार में पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए जलवायु स्मार्ट कृषि का एकीकरण विषय पर दो दिवसीय वर्कशॉप शुरू हुआ. जिसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में परिवर्तन ही दुनिया का अनमोल धरोहर है. डिजाइनर फूड पर वैज्ञानिकों को शोध करने की जरूरत है. पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए जलवायु स्मार्ट कृषि एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है. सीएसए का उद्देश्य कृषि प्रणालियों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाना, खाद्य सुरक्षा में सुधार करना और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देना है. फसल विविधता को बढ़ावा देता है. जिससे पोषण संबंधी विभिन्न जरुरतों को पूरा करने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर फसलें उगाने में मदद करता है. जैसे कि फल और सब्जियां जो पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण हैं. जलवायु-प्रतिरोधी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है. जिससे फसल की उत्पादकता में सुधार होता है और पोषण संबंधी परिणामों में सुधार होता है. जलवायु-प्रतिरोधी फसलों का विकास करना और उन्हें किसानों तक पहुंचाना है. स्वागत भाषण करते हुए डीन डॉ उषा सिंह ने कहा कि क्षिति-जल-पावक-गगन- समीरा पर बिहार की कृषि आधारित है. वर्चुअल मोड में दिल्ली से न्यूट्रिशन विशेषज्ञ डा ऋचा पांडेय ने भी अपनी प्रस्तुति दी. वहीं यूनिसेफ से डा अंतर्यामी दास ने भी वर्कशॉप में विषय प्रवेश कराया. निदेशक अनुसंधान डा अनिल कुमार सिंह ने कहा जलवायु और मौसम का अलग-अलग अर्थ होता है. संचालन डा राघवेंद्र कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डा गीतांजलि चौधरी ने किया. मौके पर डा रत्नेश कुमार झा, डा आरती सिन्हा, डा मुकेश कुमार, डा ए. सत्तार, डा रितंभरा, डा सुधानंद प्रसाद लाल आदि मौजूद थे.
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