Education news from Samastipur:समस्तीपुर : एमडीएम की गुणवत्ता में जल्द ही सुधार आयेगा. एमडीएम बनवाने वाली रसोइयों के पाक कला की गुणवत्ता को अब बच्चे खुद परखेंगे. इसके लिए रसोइया पाक कला प्रतियोगिता आयोजित कराई जायेगी. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को जज बनाकर प्रेरित किया जायेगा. मध्याह्न भोजन योजना के तहत जिले में पाक कला प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा. इसमें जिले के सरकारी स्कूलों में भोजन बनाने वाली रसोइया व सह सहायक शामिल होंगी. इस संबंध में मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक विनायक मिश्र ने जिले के एमडीएम डीपीओ को पत्र भेजा है. एमडीएम डीपीओ सुमित कुमार सौरभ ने बताया कि जिला व प्रखंडस्तर पर रसोइया व उनके सहायकों के बीच समूह बनाकर पाक कला प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी. इसकी शुरूआत जिले में आगामी 15 मई से होगी. प्रतियोगिता में रसोइया व सह सहायक अपना हुनर दिखायेंगी. वहीं बेहतर प्रदर्शन के आधार पर रसोइया व सह सहायक को प्रशस्ति पत्र और प्रोत्साहन राशि देकर पुरस्कृत भी किया जायेगा. डीपीओ ने बताया कि पाक कला प्रतियोगिता में प्रतिभागियों द्वारा स्कूलों में प्रतिदिन मेन्यू के अनुसार बनने वाले भोजन को ही बनाया जायेगा. प्रखंडस्तर पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करनेवाले प्रतिभागियों का समूह बनाकर जिलास्तरीय प्रतियोगिता करायी जायेगी. प्रखंडों में आयोजित प्रतियोगिता में बीडीओ, बीईओ व अन्य अधिकारी शामिल होंगे. जबकि, जिलास्तर पर एमडीएम डीपीओ की अध्यक्षता में प्रतियोगिता होगी. यहां बता दें कि जिले में प्रारम्भिक स्कूलों में एमडीएम संचालित है. स्कूलों में रसोइया व सह सहायकों द्वारा भोजन बनाया जाता है. इस पाक कला प्रतियोगिता में रसोइया व सह सहायक शामिल होंगी. विदित हो कि एमडीएम की गुणवत्ता को लेकर अकसर शिकायत मिला करती थी. उन्हीं शिकायतों को दूर करने के साथ रसोइयों की कार्यशैली में निपुणता लाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने प्रतियोगिता कराने की योजना बनाई है. विभाग का मानना है कि वर्तमान में विद्यालयों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है. इसमें और सुधार को लेकर लेकर प्रतिस्पर्धा का आयोजन चयनित प्रखंडों के चिह्नित स्कूलों में किये जाने की विभागीय योजना बनाई गई है.
विभागीय दिशा-निर्देश से शिक्षक परेशान
विगत कुछ वर्षों से प्रारंभिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना संचालन में काफी बदलाव किया जा रहा है. स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक की जगह किसी अन्य शिक्षक को मध्याह्न भोजन योजना की जिम्मेदारी मिलेगी. पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक जिले के एक-एक प्रखंड के स्कूलों में यह व्यवस्था 13 मई से 13 जून तक रहेगी. इस योजना की समीक्षा के बाद इसे अन्य सभी स्कूलों में लागू किया जायेगा. इस निर्देश के बाद से शिक्षकों का कहना है कि विभाग ये जिम्मेदारी किसी एनजीओ या जीविका दीदी को दी जानी चाहिए. जिसकी गुणवत्ता की जांच निरंतर होता रहना चाहिए. विदित हो कि इस वर्ष के पहले दिन से ही मध्याह्न भोजन योजना की निगरानी आईवीआरएस की जगह अब ई शिक्षा कोष के माध्यम से किया जा रहा है.गर्मी छुट्टी के बाद तमिलनाडु मॉडल लागू कर सकती विभाग
बिहार सरकार स्कूली शिक्षा में हर दिन नए प्रयोग कर रहा है. सरकारी स्कूलों मे मिलने वाले मिड डे मील में बड़ा बदलाव किया जा सकता है. दसवीं तक यह सुविधा मिल सकती है. साथ ही पहली से पांचवीं क्लास के बच्चों को मिड डे मील से पहले ब्रेक फास्ट देने की प्लानिंग हो रही है. तमिलनाडु मॉडल को बिहार में लालू किया जा सकता है. अगर यह लागू होता है तो शिक्षकों की टाइमिंग में भी बदलाव होगा. फिर से स्कूल का समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक हो सकता है. बिहार सरकार की एक टीम तमिलनाडु दौरे पर गई थी. शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्राथमिक निदेशक के नेतृत्व में टीम स्कूल के पैटर्न को समझने के लिए गई थी. सात सदस्यीय टीम तीन दिन तक तमिलनाडु में रही और व्यवस्था से संबंधित जानकारी ली थी. वहां सीएम ब्रेक फास्ट स्कीम चलाए जा रहें हैं. राज्य सरकार यह स्कीम भी अपने संसाधन पर चलाती है. यह क्लास वन टू फाइव तक चलाई जाती है. मिड डे मिल हो और ब्रेक फास्ट योजना में स्कूली टीचर को बाहर रखा गया है. तमिलनाडु सरकार ने दोपहर का भोजन और ब्रेक फास्ट समाज कल्याण विभाग और सिविल फूड डिपार्टमेंट के कंधों पर जिम्मेदारी दी है.
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