Samastipur News:समस्तीपुर : जिले के सरकारी विद्यालयों में नामांकित नौनिहालों की कलाकृतियां अब मध्य विद्यालय सरायरंजन स्थित बाल आर्ट गैलरी की शान बन गयी है. यह गैलरी बच्चों का मनोबल बढ़ाने और उनके भीतर की कला को उभारने का काम कर रही है. बताते चले कि इसमें 50 सरकारी विद्यालयों के चुनिंदा करीब 160 से अधिक बाल पेटिंग को गैलरी में सम्मिलित किया गया है. बच्चों के आर्ट वर्क को यहां डिस्प्ले करने के लिए पहले प्रतियोगिता करवाई जाती है. अब सिर्फ प्राइज विनिंग बच्चे की पेंटिंग ही यहां नहीं लगाई जाती, बल्कि यदि किसी बच्चे की पेंटिंग अच्छी है तो उसे भी डिस्प्ले किया जाता है.
– 50 सरकारी विद्यालयों के चुनिंदा करीब 160 से अधिक पेंटिंग को किया गया गैलरी में सम्मिलित
डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि कला जादू है, यह एक रचनात्मक आउटलेट है जिसकी कोई सीमा नहीं है. रंग कहानियां बताते हैं. आपकी कल्पना आपको कहीं भी ले जा सकती है. बच्चों के लिए, कला से जुड़ना सिर्फ एक मजेदार शगल से कहीं ज्यादा है, यह एक ऐसी यात्रा है जो कई तरह के लाभ प्रदान करती है, जो उनके जीवन को गहन तरीकों से समृद्ध बनाती है. इस आर्ट गैलरी के माध्यम से सरकारी विद्यालयों के बच्चों के हुनर को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इस प्रयास से बच्चे जहां पेंटिंग के गुर सीख सकेंगे वहीं भविष्य में इसे अपनी आजीविका का साधन भी बना सकते हैं.
आर्ट गैलरी ने दिया बच्चों की रचनात्मकता को मंच
शिक्षक ऋतुराज जायसवाल बताते हैं कि बच्चे की कलात्मक क्षमता को पोषित करना एक पुरस्कृत यात्रा है जो रचनात्मकता, अन्वेषण और मार्गदर्शन के माध्यम से सामने आती है. अध्ययनों से पता चला है कि कला में भागीदारी अकादमिक सुधार से संबंधित है। कला ध्यान केंद्रित करने, विवरण पर ध्यान देने और दृढ़ता को प्रोत्साहित करती है. बिहार शिक्षा परियोजना व क्षमतालया फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से संभव हो पाया. गैलरी में समस्तीपुर के विभिन्न प्रखंडों के बच्चों द्वारा बनाई गई आकर्षक पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया गया, जिनमें मधुबनी और मंडला कला जैसे पारंपरिक चित्र प्रमुख रूप से शामिल हैं. यह आर्ट गैलरी न केवल बच्चों की रचनात्मकता को मंच देगी, बल्कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी माध्यम बनेगी. भविष्य में यह गैलरी समस्तीपुर जिले के लिए एक प्रेरणा का केंद्र सिद्ध होगी. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कहा कि कला से जुड़ने से बच्चों को विभिन्न संस्कृतियों, ऐतिहासिक कालखंडों और कलात्मक शैलियों से परिचित होने का मौका मिलता है. यह संपर्क विविधता, सुंदरता और मानवीय अभिव्यक्ति की समृद्ध कला के प्रति प्रशंसा विकसित करता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है