मोहिउद्दीननगर . कबीर एक उपदेश, समाज सुधारक, युग प्रवर्तक व मानवतावादी थे. उन्हें जागरण युग का अग्रदूत भी कहा जाता है. उन्होंने लोगों को वास्तविक रूप से इंसानियत का पाठ पढ़ाया. यह बातें बुधवार को बाबा बसावन रोड, संतनगर बोचहा में आयोजित दो दिवसीय प्रांतीय कबीर जयंती समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महंत डॉ. सुधीर साहेब ने कही. संचालन महंत अर्जुन साहब ने किया. संतों ने कहा कि मध्ययुगीन संत कवियों में कबीर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. उनके विचार वर्तमान युग में उतने ही प्रासंगिक हैं,जितने अपने युग में रहे थे. उन्होंने किसी देश, क्षेत्र,जाति व धर्म से ऊपर उठकर केवल मानवता को केंद्र में रखकर अपने विचार को रखा. कबीर दास समाज में व्याप्त उन तमाम परंपराओं, रुढ़ियों व मान्यताओं को तोड़ने का भरसक प्रयास किया जो मनुष्य मनुष्य के बीच भेदभाव उत्पन्न करती है. कबीर ने सामाजिक समन्वय पर बल दिया. उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की जो कुरीतियों, रूढ़ियों, कर्मकांड अंधविश्वासों व सांप्रदायिकता से मुक्त हो. जो धर्म, जाति, वर्ण एवं पंथनिरपेक्ष हो. एक ऐसा समाज जो इंसान को इंसान के रूप में देखे ना कि उसकी जाति, वर्ण, धर्म, भाषा व क्षेत्र के आधार पर आकलन करें. इस दौरान भंडारे का भी आयोजन किया गया. इस मौके पर महेश दास, महंत सुरेश साहेब, महंत सहदेव साहेब, राम नारायण साहेब, लीला दासिन,उमदा दासिन, राम शरण साहेब, नीरस दास, रामप्रवेश साहेब, लालबाबू, मदन साहेब, हरेंद्र प्रसाद आर्य, गजेंद्र प्रसाद आर्य, राजीव कुमार, संजीव कुमार, दीपक कुमार, अर्चना कुमारी, अभिलाषा कुमारी, आकांक्षा कुमारी मौजूद थे.
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