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Samastipur News:धान की सीधी बोआई किसानों के लिए लाभकारी : डा जाट

बदलते वातावरण, गिरते भूजल स्तर व बढ़ती कृषि लागतों के बीच किसान डायरेक्ट सीडेड राइस तकनीक तेजी से अपना रहे हैं.

Samastipur News:पूसा : बदलते वातावरण, गिरते भूजल स्तर व बढ़ती कृषि लागतों के बीच किसान डायरेक्ट सीडेड राइस तकनीक तेजी से अपना रहे हैं. इस तकनीक से कम लागत में अधिक उत्पादकता, जल की बचत, श्रम की कमी और जलवायु अनुकूल खेती की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. बिसा प्रमुख डा राज कुमार जाट ने बताया कि बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया पूसा ने बिहार में संचालित कार्यक्रमों से प्राप्त अनुभवों के आधार पर धान की सीधी बुआई केवल पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल है. छोटे और सीमांत किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो रहा है. सीधी बुआई तकनीक के अंतर्गत धान की बुवाई सीधे खेत में की जाती है. इससे 20-25 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. 30-50 प्रतिशत तक श्रम की कमी आती है. समय पर गेहूं की बुवाई भी हो जाती है. मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने में मदद करती है. उन्होंने बताया कि दीर्घ अवधि वाले धान 15 जून, मध्यम अवधि 30 जून व लघु अवधि वाले 15 जुलाई तक बेहतर है. डा जाट ने बताया कि डीएसआर तकनीक बिहार में कृषि के लिए एक सतत, किफायती और पर्यावरण संवेदनशील समाधान के रूप में उभर रही है. राज्य सरकार, कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के सहयोग से यदि इस तकनीक को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे तो यह खेती को ज्यादा लाभदायक और कम जोखिम वाला बना सकता है.

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