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Samastipur News: आम के मंजर में मटर के दाने के बराबर फली आने पर रसायन का छिड़काव न करें

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किया है. वैज्ञानिक ने कहा है कि इन दिनों आम के बगीचों में मंजर पूरी तरह आ चुका है.

समस्तीपुर : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किया है. वैज्ञानिक ने कहा है कि इन दिनों आम के बगीचों में मंजर पूरी तरह आ चुका है. किसान आम में मंजर वाली अवस्था से फल के मटर के दाने के बराबर होने की अवस्था के मध्य किसी प्रकार का कोई भी कृषि रसायन का प्रयोग नहीं करे. विकृत दिखने वाले मंजर को तोड़कर बाग से बाहर ले जाकर जला दें या मिट्टी में गाड़ दे. वहीं लीची के पेड़ में फल बेधक कीट के शिशु जो उजले रंग के होते हैं, यह फलों के डंठल के पास से फली में प्रवेश कर गुदे को खाते हैं. जिससे प्रभावित फल खाने लायक नहीं रहता. इस कीट से बचाव के लिए लीची के पत्तियों एवं टहनियों पर प्रोफेनोफॉस 50 ईसी का 10 मिली या कार्बारिल 50 प्रतिशत घुलनशील पाउडर का 20 ग्राम दवा को 10 लीटर पानी में घोलकर अप्रैल माह में 15 दिनों के अंतराल पर प्रति पेड़ की दर से दो छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. लत्तर वाली सब्जियों जैसे नेनुआ, करैला, लौकी तथा खीरा में लाल मूंग कीट से बचाव के लिए डाइक्लोरवीस 76 ईसी प्रति एक मिली प्रति लीटर पानी की दर से आसमान साफ रहने पर ही छिड़काव करे. किसान हल्दी एवं अदरक की बोआई के लिए खेत की तैयारी करें. खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद डाले. 15 मई से किसान हल्दी एवं अदरक की बोआई कर सकते हैं. किसान ओल की रोपाई करें.

रोपाई के लिए गजेंद्र किस्स अनुशंसित है

रोपाई के लिए गजेंद्र किस्स अनुशंसित है. प्रत्येक 0.5 किलोग्राम के कंद की रोपनी के लिए दूरी 75 गुना 75 सेमी रखें. 0.5 किलोग्राम से कम वजन की कंद की रोपाई नहीं करे. बीज दर 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से रखें. बोआई से पूर्व प्रति गड्ढा तीन किलोग्राम सड़ी हुई गोबर, 20 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 10 ग्राम मुरिया, 37.5 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 16 ग्राम पोटेशियम सल्फेट का व्यवहार करें. ओल की कटे कंद को ट्राइकोडर्मा विरीडी दवा के 60 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डूबोकर रखने के बाद कंद को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सुखने दें. उसके बाद उपचारित कंद को लगाएं ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो सके. किसान गरमा मूंग व उड़द की बुआई करें. बोआई के पूर्व 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्कूर, 20 किलोग्राम पोटाश व 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. मूंग के लिए पूसा विशाल सम्राट, एसएमएल-668 एचयूएम-16 एवं सीमा व उड़द के लिए पंत उड़द-19. पंत उड़द-31. नवीन एवं उतरा किस्में बोआई के लिए अनुशंसित है. बोआई के दो दिन पूर्व बीज को कार्बेन्डाजीम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से शोधित करें. बोआई के ठीक पहले शोधित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बोआई करें. बीज दर छोटे दानों के प्रभेदों के लिए 20-25 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर व बड़े दानों के प्रभेदों के लिए 30-35 किली ग्राम प्रति हेक्टेयर रखें. बोआई की दूरी 30 गुना 10 सेमी रखें.

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