Samastipur News:प्रकाश कुमार, समस्तीपुर :
शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देश का ससमय पालन नहीं करना प्रारंभिक विद्यालयों की नियति बनती जा रही है. इसका खामियाजा जिला स्तरीय पदाधिकारी को भुगतना पड़ रहा है. सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षा समिति का पुनर्गठन करने का निर्देश दिया था. तीन वर्ष से अधिक कार्यकाल पूर्ण समिति का दुबारा पुनर्गठन करना था. इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने डीइओ व डीपीओ एसएसए को निर्देश दिया था. निर्देश के मुताबिक आठ जुलाई तक समिति का पुनर्गठन करना था. साथ ही विद्यालय शिक्षा समिति के पुनर्गठन करने की कार्रवाई से संबंधित एक समेकित प्रतिवेदन भी विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था. बावजूद 627 प्रारंभिक विद्यालयों में अबतक शिक्षा समिति का पुनर्गठन करने का कार्य लंबित है. बीईपी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी उज्ज्वल कुमार ने बताया कि आठ दिन के अंदर सभी स्कूलों में शिक्षा समितियों के गठन के निर्देश दिया गया है. समस्तीपुर के कुल स्कूलों में 43.98 % में ही शिक्षा समितियां या मैनेजमेंट कमेटियां गठित हो सकी हैं.जिले के 402 उच्च विद्यालयों में से 145 में भी अबतक स्कूल मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट कमेटी का नहीं हो सका गठन
बताते चले कि 2446 प्रारंभिक विद्यालयों में से अबतक जो आंकड़े बीईपी कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये हैं उसके मुताबिक 1819 विद्यालयों में पुनर्गठन करने की कार्रवाई पूरी कर ली गई है. शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार समिति में कुल 17 सदस्य होते हैं. इसमें 9 सदस्य कोटिवार नामांकित विद्यार्थियों के अभिभावकों में से व अन्य सदस्य पदेन व नामित सदस्य के रूप में चयनित किये जाते हैं. पदेन सदस्यों में विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं संबंधित पंचायत के वार्ड सदस्य शामिल होते हैं. वार्ड सदस्य समिति के अध्यक्ष चुने जाते हैं. चयन प्रक्रिया के तहत आम सभा में उपस्थित अभिभावकों की सर्वसम्मति से समिति के सदस्यों का चयन किया जाता है. इसके उपरांत समिति के अंदर सचिव पद के लिए चुनाव कराया जायेगा. नियम के अनुसार अध्यक्ष या सचिव में से कम से कम एक महिला होना अनिवार्य होता है. चयनित सदस्यों को विद्यालय संचालन से संबंधित विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. वहीं जिले के 402 उच्च विद्यालयों में से 145 में भी अब तक स्कूल मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट कमेटी का गठन नहीं हो सका है. यह समिति विद्यालय के प्रबंधन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें समुदाय के सदस्यों, शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी होती है.
समिति की होती है भूमिका
विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था, मध्याह्न भोजन योजना व विकास कार्यों में शिक्षा समिति का अहम भूमिका होती है. सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालय में शिक्षा समिति का कार्यकाल समाप्त हो गया है. विभाग एवं विद्यालयों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रारम्भिक विद्यालयों में 9 सदस्यीय शिक्षा समिति का गठन हुआ था, जिसका कार्यकाल तीन साल के लिए था. तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है. नये सत्र की पढ़ाई शुरू हो चुकी है. लेकिन शिक्षा समिति का गठन नहीं हुआ है. जबकि विद्यालयों के विकास के लिए नए वित्तीय वर्ष में राशि भी आवंटित हो चुकी है. राशि का खर्च किस मद में कैसे होगा, इसपर शिक्षा समिति के सदस्य, शिक्षक चर्चा कर निर्णय लेते है. अब समिति के गठन होने से शैक्षिक व्यवस्था के साथ साथ विकास कार्य भी त्वरित गति से होंगे. सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ बेहतर संचालन के लिए विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना है इसलिए पुनर्गठन अति आवश्यक है. प्रशिक्षण शुरू होने से पहले प्री नॉलेज टेस्ट और समाप्ति के समय होगी पोस्ट नॉलेज टेस्ट सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ बेहतर संचालन के लिए विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि समिति के सदस्यों की विशेष प्रशिक्षण सभी जिलों, प्रखंड स्तर पर आयोजित किया जायेगा. प्रशिक्षण से पहले और समाप्ति के बाद समिति के सदस्यों की नॉलेज टेस्ट भी आयोजित किया जायेगा. विद्यालय शिक्षा समिति को विद्यालय के संचालन का अनुश्रवण करना, विभिन्न स्रोतों से प्राप्त निधि का उचित उपयोग करना, विद्यालय के पोषक क्षेत्र के अंदर छह से 14 वर्ष के बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करना और बच्चों की शिक्षा के अधिकार की पूर्ति में सहयोग करना, विद्यालय के भवन के निमार्ण व मेंटेनेंस कार्य शामिल है. विद्यालय शिक्षा समिति विद्यालय संचालन में दक्ष हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सके इसको देखते हुए शिक्षा विभाग ने समिति के सदस्यों को तीन दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है. प्रत्येक संकुल से छह सदस्यों को मिलेगी ट्रेनिंग विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों की ट्रेनिंग अगस्त महीने तक आयोजित की जायेगी. ट्रेनिंग में प्रत्येक पंचायत या संकुल से तीन दिवसीय गैर आवासीय ट्रेनिंग दी जायेगी. प्रत्येक बैच में सात विद्यालय समूह में से छह-छह प्रतिभागी और दो प्रशिक्षक शामिल होंगे. दोनों प्रशिक्षकों में एक सरकारी शिक्षक हाेंगे, जिन्हें विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए तैयार माड्यूल ‘लोक संवाद’ की ट्रेनिंग देंगे.
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