Agricultural University, Samastipurपूसा : डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र भवन के सभागार में समेकित मत्स्यपालन के बेहतर उत्पादन विषय छ: दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. अध्यक्षता करते हुए प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डा विनिता सतपथी ने कहा कि समेकित मत्स्यपालन में बेहतर उत्पादन के लिए, मछलीपालन के साथ कृषि और पशुपालन को जोड़ कर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाता है. जिससे आहार की कमी दूर होती है. आय बढ़ती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है. मछलीपालन से प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत मिलता है जो आहार में कमी को दूर करने में मदद करता है. समेकित मत्स्य पालन से किसानों को आर्थिक रूप से लाभ होता है, क्योंकि वे विभिन्न उत्पादों को बेचकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं. कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ शतपथी ने कहा कि मछली उत्पादन के क्षेत्र में बिहार की उत्पादकता क्षमता बढ़ी है. उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना सहित बिहार सरकार की ओर से चलाए जा रहे मत्स्यपालन से जुड़े विकास योजना की जानकारी दी. उन्होंने ने कहा कि मछली उत्पादक किसान समेकित मत्स्यपालन में नवीनतम तकनीक को अपनाकर कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.
प्रशिक्षुओं को मछली के विभिन्न प्रजातियों की जानकारी दी
उन्होंने प्रशिक्षुओं को मछली के विभिन्न प्रजातियों की जानकारी दी. प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक व प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा. जिसमें बिहार के गया जिले के 30 किसान शामिल हैं. वैज्ञानिक डॉ फूलचंद ने मत्स्यपालन के दौरान होने वाले रोग की पहचान व उससे जुड़े उपचार की जानकारी दी. जिला मत्स्य विकास पदाधिकारी मृणाल कुमार ने प्रशिक्षुओं से कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अर्जित ज्ञान को जमीनी स्तर पर उतारे और लोगों से साझा करें. वैज्ञानिक श्याम कुमार ने कहा कि किसान रंगीन मछली का पालन कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. मौके पर टेक्निकल टीम के सुरेश कुमार, सूरज कुमार, विक्की आदि मौजूद थे.
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