समस्तीपुर . गर्मी में हर साल लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ता है. पेयजल, सिंचाई सहित पानी की सभी जरूरतों के लिये पूरी तरह लोग भूमिगत जल पर ही निर्भर हैं. इस स्थिति में भूमिगल जल का लेयर स्थिर रहना जरूरी है. लेकिन मार्च आते ही भूमिगत का लेयर नीचे खिसकने लगता है. मई-जून आते-आते लोगों को पानी के लिये परेशान होना पड़ता है.
फिलवक्त कई प्रखंडों में भूमिगत जल का लेयर 25 फीट से नीचे चला गया है. विदित हो कि भूमिगत जल का लेयर 22 फीट से नीचे जाने के बाद ही सामान्य चापाकल काम करना बंद देता है. पानी का लेयर नीचे जाने के कारण लोग सबमर्सिबल का उपयाेग करने लगे हैं. खासकर शहरी क्षेत्र में तो हर घर में सबमर्सिबल लग चुका है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसका उपयोग काफी संख्या कर रहे हैं. दूसरी ओर सिंचाई के लिये भी भूमिगत जल का ही उपयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग वॉटर प्यूरिफायर मशीन लगाकर पानी बेचने का धंधा कर रहे हैं. वहीं अधिसंख्य घरों में लोग वॉटर फ्यूरीफायर लगा रखें हैं. वॉटर प्यूरीफायर एक लीटर प्यूरीफाइड वॉटर बनाने में तीन लीटर पानी को बर्बाद करता है.जिले का औसत भूमिगत जल का स्तर 22 फीट 9 ईंच पर पहुंचा
जिले का औसत भूमिगत जल का स्तर जून के पहले सप्ताह में ही 22 फीट 9 ईंच पर पहुंच गया है. वहीं पूसा प्रखंड में भूतिगत जल का लेयर की स्थिति सबसे खराब है. पूसा में भूमिगत जल का लेयर 28 फीट 7 ईंच पर पहुंच गया है. वहीं समस्तीपुर प्रखंड में भूमिगत का लेयर 26 फीट 7 ईंच पर पहुंच गया है. सरायरंजन में 26 फीट 1 ईंच पर पहुंच गया है. उजियारपुर में 25 फीट 7 ईंच पर पहुंच गया है. विभूतिपुर में 24 फीट 7 ईंच पर पहुंच गया है. कल्याणपुर में 24 फीट 5 ईंच पर पहुंच गया है. खानपुर में 24 फीट 9 ईंच पर पहुंच गया है. इसके अलावा कई अन्य प्रखंडों में भूमिगत जल का लेयर 22 फीट से नीचे चला गया है.हर दिन हो रहा 82.65 करोड़ लीटर पानी का उपयोग
वर्ष 2023 की जनगणना के मुताबिक जिले की जनसंख्या 57 लाख हो चुकी है. राष्ट्रीय मानक के मुताबिक हर दिन एक व्यक्ति औसतन 145 लीटर पानी का उपयोग पीने, नहाने, नित्य क्रिया में उपयोग करता है. स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर व्यक्ति को औसतन हर दिन 200 लीटर पानी का उपयोग करना चाहिये. इसके साथ ही लोग पानी का उपयोग कपड़ा धोने, बर्तन साफ करने, किचेन के काम में, गाड़ियों को धोने में, मवेशी को नहलाने में भी करते हैं. वहीं सिंचाई का काम भी भूमिगत जल का से हो रहा है. विदित हो कि जिले में खेती योग्य भूमि का कुल रकवा 182000 हेक्टेयर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है