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Samastipur News:समिति काम करेगी बेहतर तो बदलेगी स्कूलों की तस्वीर

अब सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा तय करने में शिक्षा अधिकारी नहीं, बल्कि अभिभावकों की भूमिका अहम होगी.

Samastipur News:समस्तीपुर : अब सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा तय करने में शिक्षा अधिकारी नहीं, बल्कि अभिभावकों की भूमिका अहम होगी. स्कूल की विकास योजनाएं से लेकर संचालन और निगरानी तक की जिम्मेदारी अब अभिभावकों के हाथ में होगी. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रत्येक स्कूल में कार्यरत विद्यालय शिक्षा समिति ही अब स्कूल के लिए विकास योजना तैयार करेगी. इसके लिए अभिभावकों को जून से अगस्त तक विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. राज्य परियोजना निदेशक ने इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा है कि विद्यालय विकास योजना अब बजट से दो माह पहले समिति के सदस्य तैयार करेंगे. इसके लिए इन्हे प्रशिक्षित किया जायेगा. इसमें विशेष ध्यान यह रखा जायेगा कि समिति में कम से कम दो महिला अभिभावकों की भागीदारी अनिवार्य हो. स्कूलों के संचालन, निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी सदस्यों को ”लोक संवाद प्रशिक्षण मॉड्यूल” के तहत प्रशिक्षित किया जायेगा. हर स्कूल में होगी अभिभावकों की मजबूत भागीदारी प्रशिक्षण की प्रक्रिया व्यवस्थित होगी.

क्या होती है विद्यालय शिक्षा समिति

स्कूल के समुचित विकास के लिए स्थानीय प्राधिकार द्वारा स्थापित, नियंत्रित एवं धारित प्रत्येक प्रारंभिक स्कूल में एक 17 सदस्यीय समिति होती है.इस समिति में न्यूनतम 50 फीसदी माताएं होती हैं. जिस वार्ड में स्कूल है, उसके वार्ड सदस्य इस समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं. इस समिति में स्कूल के छात्र-छात्रा की माताएं सदस्य होती हैं. इनकी संख्या नौ होती है. इसमे पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जन जाति, सामान्य वर्ग सभी वर्गों से दो-दो सदस्य व एक सदस्य निःशक्त बच्चे की माता होती हैं. इसी तरह, जीविका समूह की सदस्य के रूप में दो, छात्र प्रतिनिधि सदस्यों की संख्या दो होती है. इनमें एक छात्रा मीना मंच से तो एक छात्र बाल संसद से होता है. परन्तु छात्र प्रतिनिधि को वोट देने का अधिकार नहीं होता है. स्कूल के एक वरीय शिक्षक, स्कूल के एचएम पदेन सदस्य व संकुल समन्वयक सदस्य और स्कूल का भूमिदाता सदस्य होते हैं.

समिति की शक्तियां

स्कूल के संचालन का अनुश्रवण करना, स्कूल के पोषक क्षेत्र के छह से 14 आयुवर्ग के बच्चों का शत-प्रतिशत स्कूल में नामांकन करवाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना, स्कूल के भवन निर्माण व रखरखाव में जन अंशदान प्राप्त करना, एमडीएम की व्यवस्था के लिए आवश्यक निर्णय लेना व पर्यवेक्षण करना, ध्यान रखना कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाये जांये. शिक्षकों की आदतन अनुपस्थिति, उनके द्वारा बच्चे को प्रताड़ना, अपमान या भेदभाव करने के बारे में समिति समुचित अनुसंधान के बाद सक्षम प्राधिकार को प्रतिवेदन भेजना समेत स्कूल के विकास सम्बंधित कई तरह की जिम्म्मेवारी इस समिति को होती है.

स्कूल शिक्षा विकास निधि

प्रत्येक स्कूल में वीएसएस निधि के नाम से एक निधि सृजन की जाती है. स्कूल विकास के लिए सभी राशि इस निधि के खाते में जमा की जायेगी. खाते का संचालन समिति के अध्यक्ष, सचिव व स्कूल के एचएम या प्रधान शिक्षक के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाना है.

इनसेट:::::::::::::::::::::

दायित्वों का निर्वहन सही से कर रही है या नहीं, इसकी मॉनिटरिंग की जायेगी

जिले के कई प्रारंभिक स्कूलों में विद्यालय शिक्षा समिति अपने दायित्वों का निर्वहन सही से कर रही है या नहीं, इसकी मॉनिटरिंग की जायेगी. वैसे विद्यालय शिक्षा समिति जो विद्यालय के विकास के लिए काम नहीं कर रही है और विद्यालय का विकास प्रभावित हो रहा हो, तो विघटित करने की कार्रवाई की जायेगी. डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि डीएम व डीडीसी की रिपोर्ट के आधार पर विद्यालय शिक्षा समिति अगर शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं कर रही है तो इसे भंग किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा निर्देशित कार्याें को पूरा नहीं करने पर भी शिक्षा समिति को भंग किया जा सकता है. विद्यालय प्रबंध समितियां अगर अपने दायित्वों को समझे और स्कूलों पर ध्यान दें तो स्कूल की तस्वीर बदल सकती है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को पता होता है कि बच्चे को सही से पढ़ाया जा रहा है या नहीं. लेकिन ज्यादतर स्कूलों में समितियां केवल नाम के लिए होती है, इसलिए स्कूल अपनी मनमानी करते हैं.

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