मोहनपुर : कबीर ने निर्भीक होकर समाज में पलने वाले ढोंग व पाखंड का विरोध किया. अपनी बेबाकी से उन्होंने अंतःकरण की शुद्धता से सामाजिक एवं आध्यात्मिक चेतना का विकास किया. वे वाकई में कबीर सेवाभाव व सामाजिक समानता के मिसाल हैं. यह बातें शनिवार की शाम बघड़ा स्थित संत कबीर आश्रम में आयोजित दो दिवसीय सद्गुरु कबीर वचनवंशीय संत सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान स्थानीय विधायक राजेश कुमार सिंह ने कही. कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय कबीर मंच के तत्वावधान में किया गया. संत सम्मेलन की अध्यक्षता आचार्य कोदकरी साहेब ने की. इस अवसर पर संतों ने कहा कि बिना त्याग और साधना के ईश्वरत्व की प्राप्ति नहीं हो सकती. कबीर दास आत्मज्ञान एवं परमात्मा ज्ञान के लिए भी सद्गुरु की कृपा को मार्गदर्शन के रूप में अनिवार्य मानते थे. स्वयं का या पर में निम्मजन ही परमात्मा की प्राप्ति है.
कबीर के विचार व वाणी आज भी प्रासंगिक
कबीर के विचार व वाणी आज भी इसलिए प्रासंगिक है. वे कठोर सत्य के अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध थे. यह सब महान भाव से नहीं, सेवा भाव और प्रेम भाव से संभव है. निरोग, दीर्घायु, सुखमय, शांतिमय व आनंदमय जीवन के लिए सभी तरह के नशीले पदार्थों के सेवन से परहेज करने की संतों ने श्रद्धालुओं से अपील की. कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालु सुमधुर भजनों को सुनकर भक्ति सागर में गोते लगा रहे थे. इससे पूर्व महंत डॉ. सुबोध दास धर्मरत्न की अगुवाई में शांति यात्रा निकाली गई. जिसमें दूर-दराज से आये दर्जनों अनुयायियों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर रामविलास साहेब, अरविंद साहेब, रामचंद्र साहेब, उपेंद्र साहेब, त्रिभुवन साहेब, अमित कुमार सिंह गुल्लू, श्रवण सिंह, रतन दास, संतलाल दास, जमुना दास, सुजीत कुमार, संजीत कुमार, विद्यानंद, सत्येंद्र, शुभम, पिंटू, दिनकर सहित दर्जनों श्रद्धालु मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है