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Samastipur News:नृत्य-संगीत के लिए पाठ्यक्रम बनेगा मॉड्यूल

शिक्षा में कला, संगीत, नाटक और नृत्य को शामिल करने से विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलता है.

Samastipur News:समस्तीपुर : शिक्षा में कला, संगीत, नाटक और नृत्य को शामिल करने से विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलता है. विद्यार्थियों में रचनात्मकता, भावनात्मक अभिव्यक्ति, सामाजिक कौशल और संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होता है. इससे विद्यार्थियों को चहुमुखी शैक्षिक अनुभव मिलता है. अलग-अलग विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करके कला छात्रों के सर्वांगीण विकास और कल्याण को गहराई से प्रभावित करता है और आवश्यक जीवन कौशल तथा भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ पारंपरिक शिक्षा को बढ़ाता है. सरकारी स्कूलों के बच्चे अब राष्ट्रीय स्तर की कला प्रतियोगिताओं नृत्य, संगीत, गायन, वादन के लिए पहले से ही तैयार हो सकेंगे. इसमें उन्हें राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से मदद मिलेगी. दरअसल नृत्य- संगीत के लिए पाठ्यक्रम मॉड्यूल बनेगा. बच्चों को नृत्य- संगीत का प्रशिक्षण दिया जायेगा. विदित हो कि कुछ दिनों पहले शिक्षा विभाग ने प्रत्येक वर्ग के लिए नृत्य- संगीत की एक घंटी अनिवार्य करने का आदेश निकाला है. नृत्य-संगीत के शिक्षकों को अब तक सामान्य रूप से पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता था. अब एससीईआरटी की ओर से नृत्य- संगीत पर ही समर्पित प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्हें बताया जायेगा कि किस तरह बच्चों को इसका प्रशिक्षण स्कूलों में दिया जाये ताकि जिन बच्चों में कलात्मक प्रतिभाएं हैं वो इसे निखार सकें. देश के किसी भी कोने में बैठे इन कक्षाओं की किताब शैक्षिक सत्र की शुरुआत से पहले अमेजन से मंगा सकते हैं. एनसीईआरटी और अमेजन ने हाल ही में एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. एनसीईआरटी की ओर से इसके लिए समर्पित वितरक रखा है. एनसीईआरटी की वेबसाइट पर जाकर भी ऑर्डर कर सकते हैं.

हर कला का अपना एक अलग महत्व

डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि अगर सही मायने में किसी बच्चे का विकास करना है तो उसे विज्ञान, गणित, इतिहास के साथ-साथ कला, संगीत, नाटक और नृत्य की शिक्षा भी दिलानी चाहिए. पारंपरिक शिक्षा के साथ कलात्मक अभिव्यक्ति से मेल खाने वाली गतिविधियों को करने से विद्यार्थियों की कई इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं. सीखने की प्रक्रिया में वे अपने शरीर और दिमाग को जोड़ते हैं. यह सक्रिय जुड़ाव समझ को बढ़ाता है, खासकर पढ़ने, गणित और विज्ञान में उनकी समझ बढ़ती है. हर कला का अपना एक अलग महत्व होता है और वह विद्यार्थी को अपनी तरह से प्रभावित करती है. जब बच्चे कला, संगीत या नृत्य गतिविधियों को करते हैं, तो वे अपने स्किल को विकसित करने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के साथ-साथ उपलब्धि और गर्व की भावना का अनुभव करते हैं. यह सकारात्मक सुदृढ़ीकरण उनकी क्षमताओं और प्रतिभाओं में विश्वास को बढ़ावा देकर उनके समग्र विकास और कल्याण में योगदान देता है.

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