Samastipur News:मोहिउद्दीननगर : रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से न सिर्फ पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो रहा है अपितु इससे जल संसाधनों पर भी भारी दबाव है. ऐसी स्थिति में बेहतर जैवविविधता और पानी की गुणवत्ता के गंगा नदी के तट पर रसायन मुक्त खेती की आवश्यकता है. अतएव प्राकृतिक खेती गंगा के कायाकल्प के लिए महत्वपूर्ण है. यह बातें शनिवार को इ किसान भवन में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तत्वावधान में आयोजित प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान जिला गंगा समिति के डीपीओ नीरजेश कुमार ने कही. प्रशिक्षण में विद्यापतिनगर, मोहनपुर, पटोरी एवं मोहिउद्दीननगर प्रखंड के सौ से अधिक किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता एसएओ संतोष कुमार ने की. वक्ताओं ने कहा कि अब वैसी खेती को अपनाने की जरूरत है, जो सेहत को नुकसान न पहुंचाएं और किसानों को भी उपज की अच्छी कीमत मिल सके. सरकारी स्तर से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने करने के लिए कई लाभकारी योजनाएं संचालित की जा रही है. प्राकृतिक खेती से 50 से 70 फ़ीसदी पानी बचाया जा सकता है. यह पानी के कुशलता से उपयोग और पीने के पानी के उपयोग जैसे अन्य उद्देश्यों के लिए पानी की बचत को सुनिश्चित करेगा. किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है, जिससे पर्यावरण और उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव सुनिश्चित हो सके. इस दौरान बताया गया कि जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत ब्रह्मास्त्र, पांच पटी काढ़ा प्राकृतिक खेती के तत्व हैं. जीवामृत का फसलों में छिड़काव व बीजामृत से बीजोपचार, मृदा भूसे से आच्छादन और नमी की आपूर्ति कर अच्छी उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है. इस मौके पर जिला सांख्यिकी पदाधिकारी अशोक कुमार, बीएओ कमलेश कुमार मिश्रा, मारुति नंदन शुक्ला एटीएम धनंजय सिंह, सुबोध राय, मनु कुमार सिंह, रामनरेश सिंह, रवि कुमार, राजीव कुमार, विजय कुमार सिंह, मदन राय, विनोद राय, कृष्णकांत राय, रघुवंश राय, विनोद शर्मा, संजीव कुमार मौजूद थे.
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