Samastipur News:समस्तीपुर : बच्चों की कल्पना अनंत होती हैं. उन्हें रचनात्मक लेखन विकसित करने के लिए प्रेरित करने के लिए माता-पिता और शिक्षकों दोनों से निर्देशित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. बच्चों के लिए रचनात्मक लेखन सिर्फ एक स्कूली विषय से कहीं ज्यादा है. यह इस तथ्य के कारण है कि भाषा हमारे आस-पास की दुनिया की हमारी समझ को प्रभावित करती है और विविध व्यक्तियों और संभावनाओं के बारे में हमारी समझ को व्यापक बनाती है. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि बच्चों में कल्पना शक्ति को बढ़ावा देना उनके मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए बहुत जरूरी है. रचनात्मक लेखन एक ऐसा माध्यम है, जिससे बच्चे अपनी सोच और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं. यह न केवल उनकी भाषा कौशल को सुधारता है, बल्कि उन्हें नई चीजें सोचने और समझने की क्षमता भी देता है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगुनियां सूर्यकण्ठ के एचएम सौरभ कुमार ने बताया कि बच्चों को कहानियां लिखने के लिए प्रेरित करें. उन्हें अपने अनुभवों, सपनों या किसी काल्पनिक दुनिया पर आधारित कहानियां लिखने दें. बच्चों से पहले एक चित्र बनाने के लिए कहें और फिर उस चित्र पर आधारित कहानी लिखवाएं. यह तरीका बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद करता है क्योंकि वे अपने बनाए हुए चित्र पर खुद ही कहानी गढ़ते हैं. इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है और वे अपनी कला और लेखन दोनों में निपुण होते हैं. इसके अलावा यह बच्चों को सोचने और कल्पना करने की क्षमता को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे वे अधिक सृजनशील बनते हैं.
””””नजरिया”””” बच्चों के सपनों, विचारों और आत्मविश्वास का प्रमाण है
डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि ””””नजरिया”””” पुस्तक हमारे समस्तीपुर जिला के 50 स्कूलों के बच्चों की कल्पना और रचनात्मकता का सुंदर संग्रह है. शिक्षा विभाग और क्षमतालय द्वारा चलाए जा रहे लर्निंग फेस्टिवल इंटर्नशिप मॉडल के तहत साल में चार बार छह-दिवसीय सत्र आयोजित होते हैं, जहां बच्चे कुछ नया सीखते हैं और उसे जीवन में अपनाना भी सीखते हैं. इस कार्यक्रम में समुदाय के लोग भी स्कूल आकर बच्चों की कला और सोच देखते हैं. इस पुस्तक की सभी कहानियों का निर्माण और चित्रांकन भी बच्चों के द्वारा किया गया हैं. लिटरेचर और स्टोरीटेलिंग में लिखी गई इन कहानियों और चित्रांकन का उद्देश्य बच्चों को अपनी बात कहने का मंच देना है. ””””नजरिया”””” उनके सपनों, विचारों और आत्मविश्वास का प्रमाण है, जिससे स्कूलों में सीखने का माहौल और मजबूत हुआ है.
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