Samastipur News:मोहिउद्दीननगर : सत्संग से सभी प्रकार का संशय व भ्रम दूर होता है. अज्ञानता दूर होकर विवेक जाग्रत होता है. कुछ समय सत्संग करने पर जन्म-जन्मांतर की समस्या व कई प्रकार की व्यर्थ की भावनाएं नष्ट होकर पुण्यवान शांति प्राप्त कर सकता है. यह बातें चकजोहरा बाजार में सदगुरु कबीर विचार मंच के सौजन्य से शुक्रवार को आयोजित सत्संग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महंत डॉ. सुबोध साहेब ने कही. संचालन महंत अर्जुन साहेब ने किया. इस दौरान संतों ने कहा कि सतनाम परमात्मा का उसका जो साक्षात्कार करा दें, वह तत्वदर्शी सद्गुरु है. ऐसे अध्यात्म विज्ञानी पुरुष के पास रहकर आत्मज्ञान का मनन करना सत्संग है. रामचरितमानस में कहा गया है कि बिनु सत्संग विवेक ना होई अर्थात जब तक राम की कृपा यानी हमारे पुण्य कर्म का उदय ना हो तब तक हमारी इस ओर रुचि नहीं होती. आत्मा, परमात्मा, ज्ञान, कर्म, उपासना, सत्संग यह सब तब तक व्यर्थ मालूम होते हैं जब तक आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है. संसार के सारे सुख-भोग एक तरफ और दूसरी तरफ सत्संग. सत्संगति बुद्धि की जड़ता को खत्म करती है. हमारी वाणी में सत्य का संचार करती है, मान-सम्मान को बढ़ाती है और हमें पाप कर्मों से दूर करती हैं. मन को प्रसन्न करती है. हमारे कृति को चहुं ओर फैलाती है. ऐसा कोई भी श्रेष्ठ आश्चर्य नहीं है, जिसे सत्संग से ना पाया जा सके. सत्संग के माध्यम से लोग सामाजिक व आध्यात्मिक आधारित मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और सत्य और सच्चाई की खोज करते हैं. सत्संग के दौरान लोग एक दूसरे से अनुभव एवं विचारों को साझा करते हैं और आपस में सामंजस्य बनाते हैं. सत्संग को आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है. यह समूह, ध्यान, प्रार्थना और साधना के लिए एक समर्थन प्रदान करता है. इस दौरान लोगों से सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की अपील की गई. इस मौके पर बिंदेश्वरी साहेब, रामू उदेश गोसाई, नीरस दास, भूषण दास, रमेश कुमार, रंजीत कुमार, अजीत कुमार, लाल बाबू, रामप्रीत साहेब, बटोर साहेब, लक्ष्मी साहेब, राम पदारथ दास मौजूद थे.
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