Samastipur News: मोहिउद्दीननगर : सरकार द्वारा दहेज और दूसरी कुरीतियों पर पाबंदी तो लंबे समय से है लेकिन सच्चाई यह है कि समाज में दहेज और दिखावे के खर्चों ने भयावह रूप ले लिया है. बेटियों का जन्म समाज में बोझिल माने जाने लगा है. उनके विवाह में दहेज और दूसरे खर्चों की चपेट में आने वाले परिवार दरिद्र होते देखे गये हैं. बीते कुछ वर्षों में नशा मुक्ति के बाद बिहार सरकार ने दहेज के विरोध में कड़े कदम उठाए हैं लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली. मानव श्रृंखला बनाकर लोगों को जागरूक किया गया लेकिन यह सिर्फ औपचारिक रूप में ही देखा गया. मोहिउद्दीननगर प्रखंड के अकलियत समुदाय के सात मौजों की कमेटी ने दहेज एवं शादियों में फिजूल खर्ची रोकने एवं डीजे न बजाने की पहल की है. महमद्दीपुर,मनियर मरगंगपार, मस्तलीपुर, नया टोला मस्तलीपुर, भैरो सरहद, दुबहा व गुलजार नगर के ग्रामीणों ने मंगलवार को एक खास बैठक मो. हसीब की अध्यक्षता में की. जिसमें सात गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि न दहेज लेंगे न देंगे. इस बात पर भी जोड़ दिया गया कि विवाह में बारातियों की संख्या कम होगी और अन्य दिखावे भी कम से कम किए जाएंगे.कमेटी के इस निर्णय से सहमत लोग समाज में संदेश देंगे की दूर-दूर तक बेटियों के विवाह को लेकर डरे हुए लोग सामान्य रूप से बेटियों का विवाह कर सकेंगे. इसके साथ समाज में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की शादी योग्य लड़की जिनका रिश्ता नहीं हो पाता है,ऐसे परिवारों की मदद कमेटी करेगी. इस प्रकार के फैसले से जहां समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को राहत मिलेगी, वहीं समृद्ध परिवार के लोग ऐसा करने से बचेंगे. साथ ही शादियों में होने वाली फिजूल खर्ची और डीजे की शोर शराबे से होने वाली परेशानियां को कम करना है.इस प्रकार के फैसले से सामाजिक बुराइयों पर रोक लगेगी बल्कि समुदाय के गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से मदद मिलेगी. इसके लिए संबंधित मौजे के लोग एक दूसरे के गांव में जाकर समन्वय स्थापित कर सुंदर, स्वच्छ व प्रगतिशील समाज के नव निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता साबित करेंगे. समय-समय पर अकलियत समुदाय के लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे. वहीं शादी में फिजूल खर्ची को रोकने व डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई बंदिशों का ऐलान भी किया गया.
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