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Agricultural University, Samastipurमिट्टी को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध कराने की जरूरत : डा सिंह

केला की खेती में रुझान रखने वाले बिहार के किसान मई के अंतिम सप्ताह से लेकर 15 सितंबर तक अपने-अपने खेतों में केला लगाने के लिए अभी से ही खेतों की तैयारी शुरू कर दें.

पूसा : केला की खेती में रुझान रखने वाले बिहार के किसान मई के अंतिम सप्ताह से लेकर 15 सितंबर तक अपने-अपने खेतों में केला लगाने के लिए अभी से ही खेतों की तैयारी शुरू कर दें. ऐसे सभी किसान गेहूं की कटाई के तत्काल बाद खेतों की जुताई कर उसमें धईचा की बुआई कर दें. एक से डेढ़ महीने बाद छोटे छोटे धईचा को ट्रैक्टर का कल्टी चलाकर उसे मिट्टी में ही दबा दें. धईचा एक तरह का हरा खाद है जो मिट्टी को पर्याप्त मात्रा में सभी तरह का पोषक तत्व उपलब्ध कराता है. कृषि विवि पूसा के पादप रोग विभाग के हेड सह वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार सिंह ने बताया कि किसान वैज्ञानिक तकनीक से केले की खेती करें तो 1 हेक्टेयर 3 लाख रुपये खर्च कर 8 से 12 लाख रुपये तक आमदनी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि केला हमारे देश में सदाबहार फल है. केले की पोषकता और आसानी से उपलब्धता इसे और खास बना देती है.

केले की इन किस्मों की करें रोपाई

किसान केले से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमेशा केले की उन्नत किस्मों का ही चयन करें. केले की उन्नत किस्मों में जी 9, रोबस्टा, अल्पान, कोठिया, चिनिया, चीनी चंपा आदि कई अन्य प्रभेद शामिल हैं. इन प्रभेदों की डिमांड मार्केट में अधिक होती है. इसलिए किसान इन प्रभेदों को लगाकर केले से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.

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