पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में गन्ना आधारित उत्पादन प्रणाली में प्राथमिक एवं द्वितीयक कृषि की चुनौतियां एवं अवसर विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी. अध्यक्षता करते हुए ईख अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ देवेंद्र सिंह ने कहा कि गन्ना की फसल में विविधिकरण लाने की जरूरत है. सिर्फ चकबंदी कार्य पूर्ण कर दिया जाये, तो गन्ना का उत्पादन एवं उत्पादकता दर में स्वतः वृद्धि हो जायेगी. बेहतर विकल्प के रूप में जैविक खाद के साथ प्राकृतिक खेती की मुड़ने की जरूरत बतायी. शश्य विज्ञान विभाग के प्राध्यापक सह जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ रत्नेश कुमार झा ने कहा कि बिहार के किसानों के लिए गन्ना नगदी फसल है. जलवायु परिवर्तन की दौर में फसलों को बचाकर बेहतर उत्पादन लेना किसानों के लिए बहुत बड़ा चैलेंज बना हुआ है. इससे निबटने के लिए वैज्ञानिक जलवायु अनुकूल कृषि परियोजना के तहत किसानों के खेत पर नवीनतम तकनीक एवं उन्नतशील बीजों का प्रभेद के साथ अनुसंधान में जुट गये हैं. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए वैज्ञानिक सह प्रसार शिक्षा निदेशालय के प्रशिक्षण कॉर्डिनेटर डा विनिता सतपथी ने किया. मौके पर टेक्निकल टीम के सुरेश कुमार, सूरज कुमार एवं विक्की कुमार आदि थे.
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