Agriculture university news from Samastipur:पूसा : डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में नेशनल टेक्निकल टेक्स्टाइल मिशन, वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत एग्रोटेक्सटाइल पर केंद्रित विशेष पहल एवं साइलेज मक्का को बढ़ावा के लिए संगोष्ठी की गयी. मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि नेशनल टेक्निकल टेक्स्टाइल मिशन और कृषि एक साथ मिलकर काफी काम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर नेशनल टेक्निकल टेक्स्टाइल मिशन और पूसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ एक एमओयू भी किया जा रहा है. यह ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त विश्वविद्यालय मसीना बीज के साथ साइलेज मक्का को बढ़ावा देने को लेकर भी एक समझौता किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से मक्का के एक ऐसे प्रभेद का विकास किया गया है जिसकी ऊचाई लगभग चौदह फुट होती है. एक हेक्टेयर में इसका उत्पादन तीन सौ टन से ज्यादा है जबकि अभी वर्तमान प्रभेद चालीस से पचास टन ही उत्पादन दे पाते हैं. इसके अतिरिक्त इस मक्का में इथेनॉल का प्रतिशत भी चालीस से अधिक है जो कि एक रिकार्ड है. उन्होंने इस प्रभेद के विकास के लिए कुलपति डॉ पीएस पांडेय और वैज्ञानिक डॉ मृत्युंजय कुमार की तारीफ की और कहा कि पिछले दो वर्षों से विश्वविद्यालय में काफी अच्छा कार्य हो रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को आक (मंदार) से धागा बनाने पर भी शोध करना चाहिए. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भारत के सेना की तारीफ की और कहा कि देश में एक मजबूत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अभूतपूर्व सफलता हासिल कर रहा है. कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने वस्त्र मंत्रालय को विश्वविद्यालय के साथ समझौता के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि टेक्स्टाइल का माडर्न एग्रीकल्चर में क्या उपयोग हो सकता है इसका प्रदर्शन वस्त्र मंत्रालय के इस केंद्र के माध्यम से किया जायेगा. उन्होंने विश्वविद्यालय के डिजिटल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में विकास के बारे में भी जानकारी दी. वस्त्र मंत्रालय के संयुक्त सचिव अजय कुमार गुप्ता ने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि पूसा विश्वविद्यालय में कई ऐसे नये अनुसंधान चल रहे हैं जो आने वाले समय में देश की कृषि को एक नई दिशा देंगे. कार्यक्रम की शुरुआत में निदेशक अनुसंधान ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय के अनुसंधान के बारे में विस्तार से जानकारी दी. कुलसचिव डॉ मृत्युंजय कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ने जिस मक्का के प्रभेद का विकास किया है वो ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि इसके पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है इसलिए इसके डिटेल पर आने वाले अनुसंधान परिषद की बैठक में विस्तार से चर्चा की जायेगी. मसीना बीज के मार्गदर्शक अनिल मिश्रा ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के योगदान के बारे में बताया. कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन डॉ अंजनी कुमारी ने किया. कार्यक्रम के दौरान निदेशक प्रसार डॉ मयंक राय, डीन बेसिक साइंस डॉ अमरेश चंद्रा, डीन इंजीनियरिंग डॉ रामसुरेश, डॉ रत्नेश कुमार झा, डॉ मुकेश कुमार, डॉ महेश कुमार, डॉ शिवपूजन सिंह समेत विभिन्न शिक्षक वैज्ञानिक एवं पदाधिकारी मौजूद थे.
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