समस्तीपुर . सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. जिले के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अब प्रत्येक वर्ष दो बार अनिवार्य रूप से एक-एक सप्ताह का आवासीय प्रशिक्षण लेना होगा. इस योजना को राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के माध्यम से लागू किया गया है. शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि यह प्रशिक्षण अब प्रत्येक शिक्षक के लिए अनिवार्य होगा. प्रशिक्षण में अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों का वेतन रोका जायेगा. विभाग का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का सतत प्रशिक्षण आवश्यक है. यह प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित किया जायेगा. प्रत्येक शिक्षक को अपनी बारी के अनुसार इस प्रशिक्षण में शामिल होना होगा. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें नवीनतम शिक्षण तकनीकों, शैक्षणिक दृष्टिकोणों एवं व्यवहारिक ज्ञान से अवगत कराया जायेगा, जिससे वे विद्यार्थियों को अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें. प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन पटना और गया स्थित बीपार्ड और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से कराया जायेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग ने विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली है और जिलों को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि प्रशिक्षण में भागीदारी को गंभीरता से लिया जाये. साथ ही शिक्षकों के शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन भी प्रशिक्षण के दौरान हुई प्रगति के आधार पर किया जायेगा. डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि शिक्षण एक आजीवन प्रक्रिया है और शिक्षण और सीखना साथ-साथ चलते हैं. सतत व्यावसायिक विकास शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित हुआ है. शिक्षक कार्यशालाओं के लिए प्रशिक्षण उन्हें शिक्षा क्षेत्र में नवीनतम शोध के साथ अद्यतन करने पर जोर देता है. शिक्षकों का बहुत सारा समय कक्षा की तैयारी में बिताए गए घंटों के अलावा छात्र मूल्यांकन, पाठ्यक्रम विकास और अन्य कागजी कार्रवाई पर खर्च होता है. शिक्षक कार्यशालाओं के लिए प्रशिक्षण उन्हें अपने समय की बेहतर योजना बनाने और संगठित रहने में मदद कर सकता है.
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