Samastipur News: समस्तीपुर : उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाली राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद ने अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है. अब तक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर A , A, B जैसे ग्रेड दिये जाते थे, लेकिन अब यह प्रणाली समाप्त कर दी गई है. नई व्यवस्था के तहत, संस्थानों को केवल दो मुख्य श्रेणियों में रखा जाएगा ‘प्रत्यायित’ या ‘गैर-प्रत्यायित’. महिला कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष सह समन्वयक आईक्यूएसी विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि नैक का कहना है कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य मूल्यांकन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, तकनीक-आधारित और समावेशी बनाना है. अब संस्थानों को अपने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज और डेटा एक ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने होंगे. इससे कागजी कार्रवाई काफी हद तक कम हो जायेगी. इसके साथ ही, नैक अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित उपकरणों का उपयोग करके इस डेटा का विश्लेषण और सत्यापन करेगा. इससे मूल्यांकन प्रक्रिया में तेजी आयेगी और निष्पक्षता भी सुनिश्चित हो सकेगी. इस नई प्रणाली में संस्थानों को अब अपनी शैक्षणिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में नवाचार और स्थिरता पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का मानना है कि यह बाइनरी प्रणाली ग्रेडिंग की जटिलता को समाप्त करेगी. इससे सभी संस्थान न्यूनतम गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए प्रेरित होंगे. वहीं, उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में प्राथमिकता दी जायेगी. नैक ने इस बदलाव को सुचारू रूप से लागू करने के लिए संस्थानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी प्रदान करने की व्यवस्था की है. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 12 अंगीभूत कॉलेजों में से कुछ कॉलेजों के नैक मूल्यांकन की अवधि समाप्त हो चुकी है. ऐसे में, इन कॉलेजों को अब नई प्रक्रिया के तहत मूल्यांकन के लिए आवेदन करना होगा. कॉलेजों में अब एक्रीडिटेशन के लिए होने वाली निरीक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है. इसकी जगह एक नई व्यवस्था लागू की गई है. इसके तहत, नैक की तीन सदस्यीय पीयर टीम अब कॉलेजों का वर्चुअल निरीक्षण करेगी. टीम के सदस्य अपने स्थान से ही दो दिनों तक कम से कम 16 घंटे वर्चुअल रूप से जुड़ेंगे और एक-एक मापदंड पर कॉलेज का मूल्यांकन करेंगे. इस दौरान कुल 20 सत्र होंगे. कॉलेज टीम को लैब, लाइब्रेरी, भवन, क्लास रूम आदि दिखाने के साथ-साथ रिसर्च, परीक्षा, परिणाम और प्लेसमेंट जैसी अपनी उपलब्धियों के बारे में भी बतायेंगे. फर्जीवाड़े को रोकने के लिए यह शर्त रखी गई है कि कॉलेज को हर मापदंड से जुड़ी जानकारी जियो टैग के साथ प्रस्तुत करनी होगी. विदित हो कि वर्ष 2016 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल का ग्रेडिंग पैटर्न बदल दिया था. इसके तहत चार के बजाय संस्थानों को आठ श्रेणियों में ग्रेडिंग की जाने लगी थी.
इनसेट:::::::::::::::मूल्यांकन के प्रमुख मापदंड
शैक्षणिक गुणवत्ता : इसमें पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता, शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया, और अनुसंधान की उत्पादकता पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.बुनियादी ढांचा और संसाधन : संस्थानों में प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता और उनका उपयोग किस प्रकार किया जाता है, यह महत्वपूर्ण होगा.
छात्र सहायता और प्रगति : छात्रों की शैक्षणिक और करियर संबंधी प्रगति, उन्हें प्रदान की जाने वाली परामर्श सेवाएं और समावेसिता जैसे पहलू मूल्यांकित किये जायेंगे.प्रशासन और नेतृत्व : संस्थान का प्रशासन कितना पारदर्शी है, वित्तीय प्रबंधन कैसा है और भविष्य के लिए रणनीतिक योजनाएं क्या हैं, इन पर ध्यान दिया जायेगा.
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव : संस्थान पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या पहल कर रहा है, ऊर्जा संरक्षण के प्रयास और सामुदायिक विकास में उसका योगदान कितना है, यह भी देखा जायेगा.नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाएं : संस्थान तकनीकी को किस प्रकार एकीकृत कर रहा है, स्टार्टअप को प्रोत्साहन दे रहा है या नहीं, और उद्योग के साथ उसके कैसे सहयोग हैं, यह महत्वपूर्ण होगा.
हितधारकों की प्रतिक्रिया : छात्रों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों से गोपनीय रूप से ऑनलाइन फीडबैक लिया जायेगा.मूल्यांकन की प्रक्रिया
मूल्यांकन की प्रक्रिया डिजिटल और एआई-आधारित विश्लेषण : संस्थानों द्वारा अपलोड किए गए डेटा का सत्यापन और मूल्यांकन अब एआई उपकरणों के माध्यम से किया जायेगा.लचीले मानदंड : ग्रामीण और छोटे संस्थानों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट मानकों को लागू किया जाएगा, ताकि उन पर अनावश्यक दबाव न पड़े.
निरंतर मूल्यांकन : जो संस्थान प्रत्यायित हो जायेंगे, उनकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए समय-समय पर निगरानी की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है