Agriculture university news from Samastipur:पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ तिरहुत कृषि महाविद्यालय में रविवार को छोटे अनाजों पर ग्रीष्मकालीन बाजरा परिक्षेत्र दिवस मनाया गया. अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि बाजरा पौष्टिक अनाज है. यह खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. बिहार में फिंगर, प्रोसो, फॉक्सटेल, बार्नयार्ड, कोदो, लिटिल और पर्ल बाजरा उगाया जाता है. बिहार में औसतन 1000-1500 मिमी वार्षिक वर्षा होती है. खरीफ मौसम के दौरान उत्तर बिहार के कई जिले बाढ़ प्रभावित हो जाते हैं. इससे जब भी भारी वर्षा होती है. उपज में हानि होती है. क्योंकि बाजरा एक द्विअर्थी फसल है. इसकी जड़ प्रणाली उथली होती है. बाढ़ की स्थिति में उच्च नमी के दबाव को झेलने में असमर्थ होती है. बिहार में बाजरे के क्षेत्रफल व उत्पादन को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक मौसम में बाजरे की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. आरपीसीएयू ने सूबे की पारिस्थितिकी में गर्मियों में लाभकारी रूप से उगाये जा सकने वाले बाजरे के जर्मप्लाज्म और किस्मों का मूल्यांकन किया है. जिन्हें फिंगर, फॉक्सटेल, प्रोसो और बार्नयार्ड और पर्ल बाजरा में उगाया जा सकता है. गर्मियों में बाजरे की खेती के तरीकों को अनुकूलित किया है. केंद्र पारंपरिक बाजरा आधारित खाद्य उत्पादों में मूल्य संवर्धन के साथ-साथ विभिन्न मूल्यवर्धित बाजरा आधारित तैयार खाने योग्य और पकाने योग्य उत्पाद विकसित कर रहा है. इन नये उत्पादों का परीक्षण के बाद पेटेंट कराया जायेगा. अपने उत्पादों का ऑनलाइन विपणन शुरू कर दिया गया है. बाजरा आधारित उत्पादों को बेचने के लिए अपनी वेबसाइट भी लांच की है. मौके पर डा श्वेता मिश्रा सहित संबंधित वैज्ञानिक मौजूद थे.
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