सासाराम ऑफिस. गुरुवार की सुबह जैसे ही सूरज ने किरणें बिखेरीं, वैसे ही प्लस टू उच्च विद्यालय चौखंडी पथ रौजा रोड सासाराम का परिसर लोकतंत्र के उत्सव से गुलजार हो उठा. स्कूल के प्रधानाध्यापक उमेश कुमार की अगुवाई में छात्र-छात्राओं के बीच बाल संसद व मीना मंच का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत पूरे जोश और उत्साह के साथ संपन्न हुआ. वर्ग छह से 12वीं तक के करीब 1000 छात्र-छात्राओं ने मतदाता के रूप में पहली बार वोटिंग की अनुभूति ली. परिसर में अलग-अलग रंगों की पर्चियों, हाथों में मतदाता पर्ची और कंधे पर झोले में चुनाव प्रचार सामग्री के साथ छात्र-छात्राएं जब स्कूल में प्रवेश कर रहे थे, तो दृश्य किसी असली चुनावी केंद्र जैसा ही प्रतीत हो रहा था. स्कूल परिसर में बनाये गये मतदान केंद्रों पर शिक्षक-शिक्षिकाएं पूरी गंभीरता से चुनाव प्रक्रिया का संचालन कर रहे थे. मतदान पदाधिकारी के रूप में विमलेश कुमार, विनीता कुमारी, राम स्वरूप सिंह, कुमारी शिमा, धनजी सिंह व चंपा कुमारी जैसे शिक्षक-शिक्षिकाएं नियुक्त थे, जिन्होंने कतारबद्ध मतदाताओं को शांतिपूर्वक मतदान कराया. वहीं, चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में अशोक कुमार सिंह, राजेश प्रसाद और चंदन कुमार निगरानी करते दिखे. चुनाव में दिखी जबर्दस्त भागीदारी, 53 प्रत्याशी मैदान में इस बाल संसद चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए दुर्गा कुमारी, आयुषी कुमारी, आकृति राज व शीजल राज जैसे उम्मीदवार मैदान में थे. उप प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, खेल मंत्री, जल-स्वच्छता मंत्री से लेकर सुरक्षा सूचना व संरक्षण मंत्री तक के लिए कुल 53 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन किये थे. स्कूल के भीतर चला जोरदार प्रचार अभियान पिछले तीन दिनों से स्कूल परिसर में बच्चों के बनाये पोस्टर, नारों और भाषणों से माहौल पूरी तरह चुनावी बन गया था. ””””हमें चाहिए ऐसा नेता, जो हो ईमानदार और सच्चा””””, ””””स्वस्थ भारत का सपना, बाल संसद से अपना”””” जैसे नारों से दीवारें गूंज रही थीं. कई छात्र-छात्राएं छोटी-छोटी रैलियों के रूप में मतदाताओं से समर्थन मांगते भी दिखे. अब सबकी निगाहें परिणाम व शपथ ग्रहण पर सुचारू व शांतिपूर्ण मतदान के बाद अब सभी की निगाहें शुक्रवार को होने वाली मतगणना व शपथ ग्रहण समारोह पर टिकी हैं. स्कूल में ही एक छोटा मंच तैयार किया जा रहा है, जहां नवनिर्वाचित बाल प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री शपथ लेंगे. यह आयोजन न सिर्फ बच्चों को लोकतंत्र की बारीकियां समझा रहा है, बल्कि उनमें नेतृत्व, भागीदारी और जिम्मेदारी का भी भाव जगा रहा है. बाल संसद और मीना मंच जैसे कार्यक्रम निश्चित तौर पर भावी भारत के लिए मजबूत नींव तैयार कर रहे हैं.
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