जिले के पीएचसी व सीएचसी को उपलब्ध कराये गये 45-45 किट
जिले में अब तक करीब 1500 फाइलेरिया पीड़ित मरीजों को किया गया है चिह्नितफोटो-6- फाइलेरिया विभाग में चिकित्सकों के साथ बैठक करते सीडीओ व अन्य.प्रतिनिधि, सासाराम सदर.
रोहतास जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति व जिला फाइलेरिया उन्मूलन इकाई लगातार कार्य कर रही है. इसके माध्यम से पीड़ितों को प्रमाणपत्र और एमएमडीपी किट उपलब्ध कराया जा रहा है. रोहतास जिले में अब तक करीब 1500 फाइलेरिया पीड़ित मरीजों को चिह्नित किया जा चुका है. मरीजों को चिह्नित करने में निजी चिकित्सकों का भी सहयोग लिया गया . मरीजों को एमएमडीपी किट के माध्यम से टब, टॉवल, साबुन, क्रीम, लोशन विशेष प्रकार की चप्पल जैसे कई महत्वपूर्ण सामग्री दी जा रही है. जिससे की फाइलेरिया पीड़ित मरीज एमएमडीपी किट से खुद को स्वच्छ रख अपना बचाव कर सकें. वहीं इस बीमारी से दिव्यांग हुए मरीजों को चिह्नित कर उनका ऑनलाइन पंजीकरण किया जा रहा है और सरकार योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उन्हें दिव्यांगता प्रमाण पत्र दिया जा रही है. पूर्व में जिला के दस फाइलेरिया मरीजों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र दिया जा चुका है . जिला स्वास्थ्य समिति ने रोहतास जिला के अनुमंडलीय अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा सभी सरकारी अस्पतालों को 45-45 एमएमडीपी किट उपलब्ध कराया है. किट वितरण से पहले सभी एमओआईसी, बीसीएम एवं सीएचओ को एमएमडीपी किट का इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.क्या हैं एमएमडीपी किट के फायदे
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी जयप्रकाश गौतम के अनुसार हाथीपांव से पीड़ित मरीजों के लिए एमएमडीपी किट काफी फायदेमंद होता है. क्योंकि, इस किट में कई सामान और दवाइयां होती है. जिसके इस्तेमाल से हाथीपांव से पीड़ित मरीजों को राहत मिलती है. उन्होंने बताया कि इस किट का इस्तेमाल करने के लिए भी हाथीपांव के मरीजों की समय-समय पर प्रशिक्षण आयोजित कर जानकारी दी जाती है. वेक्टर जनित रोग नियंत्रक अधिकारी ने बताया कि इस किट में एक विशेष प्रकार का चप्पल भी होता है जो हाथीपांव के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है. क्योंकि, हाथीपांव के मरीजों को इंफेक्टेड हिस्से को धूल और गंदगी से बचाना होता है. इसके अलावा उस हिस्से को साफ करने के लिए साबुन और लगाने के लिए क्रिम भी दिया जाता है.सभी पीएचसी व सीएचसी को दिया गया है निर्देश
जिला कलेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आसित रंजन ने बताया कि हाथीपांव से पीड़ित मरीजों के लिए जो भी सामग्री उपलब्ध कराये जा रहे हैं. वह समय से मरीजों को मिल सके, इसके लिए लगातार दिशा निर्देश दिये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को किट वितरण के लिए दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं. इसके अलावा हाथी पांव से पीड़ित मरीजों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है