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तेज धूप से लोग हो सकते हैं हीट स्ट्रोक व डिहाइड्रेशन के शिकार

Sasaram news. अप्रैल के मध्य में ही जिले का तापमान करीब 36 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. मौसम विभाग ने लू और उमस के चलते हालत और खराब होने की चेतावनी दे दी है. पिछले वर्ष तेज गर्मी के कारण जिले में दर्जनों लोगों की हीट स्ट्रोक व डिहाइड्रेशन से मौत हो गयी थी.

तैयारी. सदर अस्पताल में बनाया गया है 10 बेडों का लू वार्ड

इमरजेंसी नंबर व 108 एंबुलेंस का नंबर व्यस्त होने पर लोगों को हो सकती है परेशानीफोटो -10- धूप से बचने के लिए सिर पर स्टॉल बांध सड़क पर जातीं छात्राएं.

ए – सदर अस्पताल में बना लू वार्ड. प्रतिनिधि, सासाराम सदरअप्रैल के मध्य में ही जिले का तापमान करीब 36 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. मौसम विभाग ने लू और उमस के चलते हालत और खराब होने की चेतावनी दे दी है. पिछले वर्ष तेज गर्मी के कारण जिले में दर्जनों लोगों की हीट स्ट्रोक व डिहाइड्रेशन से मौत हो गयी थी. इस बार भी तेज गर्मी की शुरुआत हो गयी है. जब अप्रैल माह में ही इतनी तेज धूप है, तो तापमान लगातार बढ़ता ही जायेगा. इसकी जद में आने का छोटे बच्चे व वृद्ध पुरुष महिलाओं पर ज्यादा खतरा होता है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस तरह के मरीजों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में 10 बेडों का वार्ड तैयार कर दिया गया है. लेकिन, उसमें मरीजों के इलाज के लिए कितनी सुविधाएं शुरू की गयी हैं, ये मरीजों के पहुंचने के बाद ही पता चलेगा. वर्तमान समय में तेज गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक व डिहाइड्रेशन के मरीज अब तक इलाज के लिए अस्पताल नहीं पहुंचे हैं. जब मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचेंगे, तो व्यवस्था की हकीकत सामने आयेगी. इन सुविधाओं के लिए जिला प्रशासन द्वारा भी अब तक स्वास्थ्य विभाग को कोई नोटिफिकेशन जारी नही किया है. समय रहते इस पर पहल करने की जरूरत है.

पीएचसी व सीएचसी में ग्लूकोज व ओआरएस की हो जाती है कमी

पिछले वर्ष पारा 46 डिग्री के पार चला गया था. तब हीट स्ट्रोक व डिहाइड्रेशन से कई लोगों की मौत हुई थी. इसके लिए जिले के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बचाव की कोई व्यवस्था नही की गयी थी. सदर अस्पताल में ऐसे मरीजों के इलाज के लिए वार्ड तो बनाया गया था. लेकिन, स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती है, तो अस्पताल में दवा और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी हो जाती है. वहीं, प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग इसका लाभ नही ले सके थे. ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में तो अक्सर ग्रामीण क्षेत्र के पीएचसी व सीएचसी में गर्मी के दिनों में ओआरएस व ग्लूकोज की कमी हो जाती है. इससे लोगों को निजी मेडिकल दुकानों का सहयोग लेना पड़ता है.

कागजों में सिमट कर रह जाता है जागरूकता अभियान

जिला प्रशासन की ओर से हर वर्ष गर्मी से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है. लेकिन, यह अभियान केवल कागजों तक ही सिमट के रह जाता है. गांवों में लोगों तक न तो समय पर जानकारी पहुंच पाती है और न ही कहीं पेयजल स्टॉल लगाये जाते हैं. स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों और महिलाओं को गर्मी से बचाव के उपाय को लेकर जागरूक करने में रुचि नहीं दिखायी जाती है. इससे इसका ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को फायदा नही मिल पाता है.

सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ता है गर्मी का असर

मौसम विभाग के अनुसार, अभी तो गर्मी की शुरुआती में ही ऐसी स्थिति है. यह तापमान धीरे-धीरे बढ़ता ही जायेगा. इस गर्मी से मजदूर तबके के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. मजदूर, रिक्शा चालक समेत खुले में कार्य करने वाले लोगों को पूरे दिन तेज धूप में काम करना पड़ता है. गर्मी का असर मजदूरों पर ज्यादा पड़ता है.

तैयार है स्वास्थ्य विभाग

फिलहाल तेज गर्मी की शुरुआत हुई है. इससे लोगों को बचाने के लिए सदर अस्पताल में 10 बेडों का लू वार्ड बनाया गया है. इसके अलावा इमरजेंसी मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त संख्या में 108 एंबुलेंस उपलब्ध है. विशेष जानकारी के लिए मरीज हेल्पलाइन नंबर के रूप में अस्पताल उपाधीक्षक के मोबाइल नंबर 9973156901 पर संपर्क कर सकते है.

मणिकांत रंजन, सिविल सर्जन, सासाराम.

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