टप्रतिनिधि, सूर्यपुरा
दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर महान संत श्रीलक्ष्मी प्रपन्नन जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि जाति से बड़ा उस व्यक्ति का कर्म होता है. आज लोगों का खान-पान, रहन-सहन खराब हो गया हैं. ब्राह्मण के कर्म, गुण, विचार पर चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि ब्राह्मण सदाचारी होना चाहिए. जिसका खानपान, रहन-सहन, दिनचर्या सात्विक होनी चाहिए. चाहे आप ब्राह्मण ही हो लेकिन आपका आहार ,व्यवहार ब्राह्मण के समान नहीं है, तो आप पूर्ण रूप से ब्राह्मण कहलाने योग्य नहीं है. महाभारत के संग्राम में अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों की हत्या की. अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे. द्रोणाचार्य ब्राह्मण थे. उनके पुत्र ने जिस प्रकार से पांडव के पुत्रों की हत्या की. वह बहुत ही गलत था. इसी प्रसंग की चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि जब पांडव अश्वत्थामा को पकड़ कर लाये. उस समय अर्जुन और भीम ने अश्वत्थामा की हत्या करने की बात कर रहे थे. जबकि द्रौपदी और महाराज युधिष्ठिर के द्वारा गुरु, पुत्र व ब्राह्मण होने के नाते क्षमा करने की बात कही जा रही थी. क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि ब्राह्मण, संत, महात्मा, राजा वध के योग्य नहीं होते हैं. उनसे यदि किसी भी प्रकार की गलती भी हो जाती है .तो उनको कुछ दंड देकर छोड़ दिया जाता है.लेकिन, वैसा ब्राह्मण, संत, महात्मा, राजा, बालक, स्त्री वध के योग्य हैं, जो समाज का बार-बार अहित पहुंचाते हैं. दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर गांव में हो रहे चार्तुमास व्रत स्थल पर स्वामी जी के ज्ञान वर्धक बातों की रसपान करने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग कथा श्रवण करने के लिए बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित कई जगहों से आ रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है