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बिक्रमगंज इंटर स्टेडियम बना तालाब, बच्चे चला रहे कागज के नाव

SASARAM NEWS.बिक्रमगंज नगर का एकमात्र खेल मैदान इंटर स्टेडियम इन दिनों अपनी बदहाली पर खुद रो रहा है. हल्की बारिश होते ही मैदान में घुटनों तक पानी भर जाता है. ऐसे में यहां क्रिकेट - फूटबॉल की जगह बच्चे कागज का नाव बनाकर खेल रहे हैं.

नगर प्रशासन बेपरवाह, स्थानीय लोगों में नाराजगी

एसडीओ ने कहा- जल निकासी पर होगा काम

प्रतिनिधि, बिक्रमगंज.

बिक्रमगंज नगर का एकमात्र खेल मैदान इंटर स्टेडियम इन दिनों अपनी बदहाली पर खुद रो रहा है. हल्की बारिश होते ही मैदान में घुटनों तक पानी भर जाता है. ऐसे में यहां क्रिकेट – फूटबॉल की जगह बच्चे कागज का नाव बनाकर खेल रहे हैं. यह दृश्य जितना हास्यास्पद है, उतना ही प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलने वाला भी. कभी स्थानीय और जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं का गवाह रहा यह स्टेडियम अब गंदगी, जलजमाव और उपेक्षा का पर्याय बन गया है. मैदान में जगह-जगह गड्ढे हैं, जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं और पैवेलियन की हालत इतनी खराब कि दो मिनट बैठना भी मुश्किल. आवारा पशुओं के मल-मूत्र और सड़ांध ने इसे रहने लायक भी नहीं छोड़ा. स्थानीय आनंद नगर निवासी कौशलेश पांडेय ने बताया, स्टेडियम तक पहुंचने वाली सड़क भी पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो चुकी है. हर बार बरसात में यही हाल होता है. लेकिन, कोई सुध लेने वाला नहीं है. ऐसा लगता है जैसे बिक्रमगंज में खेल का भविष्य किसी को भी नजर नहीं आता. कौशलेश पांडेय ने बताया कि पूर्व अनुमंडलाधिकारी उपेंद्र पाल के कार्यकाल में मैदान के जीर्णोद्धार की एक उम्मीद जगी थी. लेकिन, उनके तबादले के साथ ही वह प्रयास भी ठंडे बस्ते में चला गया. अब तो लोग मानने लगे हैं कि इस मैदान की हालत सुधारने कोई आगे नहीं आयेगा.

खेलों इंडिया और युवा शक्ति जैसे नारे यहां तोड़ रहे दम

सरकार जहां ‘खेलो इंडिया’ और ‘युवा शक्ति’ जैसे नारे देकर युवाओं को प्रेरित करने की बात करती है, वहीं जमीनी हकीकत यह है कि बिक्रमगंज का एकमात्र स्टेडियम पानी में डूबा हुआ है. इससे स्पष्ट है कि खेल और खिलाड़ियों की बातें केवल कागजों और भाषणों में सीमित रह गई हैं.

स्टेडियम में पानी की निकासी का किया जाएगा इंतजाम : एसडीएम

इस गंभीर स्थिति पर अनुमंडलाधिकारी प्रभात कुमार ने कहा, नगर प्रशासन को जल निकासी व्यवस्था सुधारने को कहा गया है. प्रयास हो रहा है कि जल्द ही समस्या से निजात मिले. हालांकि स्थानीय लोग इन बयानों को सिर्फ औपचारिक जवाब मानते हैं. उनका कहना है कि कई सालों से सिर्फ आश्वासन मिल रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हुआ.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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