बिक्रमगंज में शाहाबाद प्रक्षेत्र के शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारियों की बैठक संपन्न
फोटो -25- सभा को संबोधित करते अतिथि.प्रतिनिधि, बिक्रमगंज.
वीर कुंवर सिंह महाविद्यालय, धारूपुर में सोमवार को शाहाबाद प्रक्षेत्र के 61 संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की संयुक्त बैठक की गयी. इसमें पटना उच्च न्यायालय द्वारा अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मियों के पक्ष में जारी वेतनमान व पेंशन संबंधी आदेश पर विस्तार से चर्चा की गयी और इसे जल्द लागू करने की मांग की गयी. बैठक की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने की, जबकि संचालन राधासंता महाविद्यालय, तिलौथू के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के स्वागत से हुई, जहां वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के सीनेट सदस्य एवं शिक्षक प्रतिनिधि डॉ मनीष रंजन ने मुख्य अतिथि एवं महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ शंभू नाथ प्रसाद सिन्हा को पुष्पगुच्छ व अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया. बैठक में डॉ बिरेंद्र कुमार सिंह, महेंद्र सिंह, बिनोद कुमार सिंह, रवींद्र कुमार सिंह, मनोज सिंह, भीम सिंह, सच्चिदानंद सिंह, प्रमोद सिंह, अमरेंद्र मिश्रा, शैलेंद्र सिंह, पुष्पा सिंह, वर्षा सिंह, सरिता सिंह. मनमोहन तिवारी, रमेश प्रताप सिंह सहित शाहाबाद प्रक्षेत्र के चारों जिलों रोहतास, भोजपुर, बक्सर और कैमूर से आये अनेक महाविद्यालयों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी उपस्थित रहे. बैठक के अंत में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि सरकार शीघ्र न्यायालय के आदेश को लागू नहीं करती है, तो महासंघ चरणबद्ध आंदोलन की ओर अग्रसर होगा.बैठक में एकजुटता का आह्वान
सभा को संबोधित करते हुए डॉ. शंभू नाथ प्रसाद सिन्हा ने कहा कि यह समय एकजुट होने का है. पटना उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला शिक्षा क्षेत्र के लिए मील का पत्थर है, और इसे जल्द से जल्द लागू कराने के लिए हम सबको एक स्वर में आवाज बुलंद करनी होगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि निर्धारित समय-सीमा के भीतर सरकार आदेश लागू नहीं करती है, तो प्रदेश भर में आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी.उच्च न्यायालय के आदेश पर खुशी
डॉ. मनीष रंजन ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार के अनुदानित डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को न केवल संशोधित वेतनमान बल्कि पेंशन की सुविधा देने का भी निर्देश दिया है. अदालत का यह फैसला स्वागत योग्य है. इसमें सरकार को इसके क्रियान्वयन के लिए तीन महीने की समय-सीमा निर्धारित की गयी है. उन्होंने आशा जताई कि राज्य सरकार शिक्षा जगत के इस संवेदनशील मुद्दे पर सकारात्मक कदम उठायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है