कहा- बिहार को विकसित करना है, तो नौकरी लेने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनो
फोटो-16- प्रवचन करते अनिरुद्ध आचार्य. ए- प्रवचन सुनते श्रद्धालु. प्रतिनिधि, चेनारी देश के प्रसिद्ध कथावाचक वृंदावन से आये अनिरुद्धाचार्य महाराज ने चेनारी प्रखंड के सदोखर गांव में आयोजित नव कुंडीय सहस्त्र महायज्ञ में कथा के दौरान कहा कि बिहार को विकसित करना है, तो आप इतने शक्तिशाली बनें कि आपकी चर्चा पूरे देश में हो. बिहार की युवाओं की प्रतिभा की चर्चा देशभर में होती है. आप नौकरी लेने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनिए, तभी बिहार का उद्धार होगा. बिहार में शराबबंदी है, फिर भी लोग शराब पी रहे हैं. अगर प्रत्येक दिन 100 रुपये की भी शराब पी रहे हैं, तो महीने के 3000 का आपका नुकसान हो रहा है. अगर इन पैसों से आपके बच्चे पढ़ेंगे, तो वह आगे आपके परिवार और राज्य का विकास करेंगे. जिन महिलाओं के पति शराब पीते हैं उनकी औरतों न जी पा रही हैं, न मर पा रही हैं. बिहारवासियों, आप अपनी हर गलत आदतों को सुधारें, तभी बिहार विकसित होगा. कथावाचक ने कहा कि सबसे जरूरी है शिक्षा. अगर आप शिक्षित हैं, तो सब कुछ कर सकते हैं. अगर आपको व्यवसाय करना है, तो भी आपको शिक्षित होना जरूरी है. जो अपने को सफल और कामयाब बना लेता है, वही दूसरे को सफल और कामयाब बना सकता है. वहीं, देश की बहन-बेटियों के बारे में गलत बात करने वाले दोस्तों से दूरी बनाये रखें. आजकल शराबी कह रहे हैं कि हम शराब पीते नहीं हैं, लेकिन दोस्ती यारी में कभी-कभार पी लेते हैं. अगर आप हमें मछली, मांस, सिगरेट, दारु, शराब, पिलाते हैं तो आप मेरे अच्छे दोस्त नहीं दुश्मन हैं. आपका दोस्त वह नहीं जो शराब पिलाया आपका सच्चा दोस्त वह है, जो आपको भजन कीर्तन कथा के बारे में बताएं.कथा में अनिरुद्धाचार्य ने बहन-बेटियों को उनके उत्तम भविष्य के लिए समझाया. बताया कि किसी के झूठे प्रेम में पड़कर अपना चरित्र और जीवन बर्बाद करने से पहले उन माता-पिता की इज्जत और भरोसे के बारे में सोचना जो वह आप पर करते हैं. कभी किसी के झांसे में आकर अपना चरित्र खराब मत करना. अपने भारत की नारियां चरित्र के लिए जानी जाती हैं, मरना मंजूर था, परंतु क्या मजाल जो कोई पर पुरुष हाथ भी लगाये. वहीं, सुदामा प्रसंग सुना भक्तों को मित्रता की परिभाषा बतायी. कहा कि कोई भी व्यक्ति पूर्ण विश्वास के साथ कथा श्रवण करे, तो वह भी मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है. भजन गायन के दौरान विदाई गीत सुनकर श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू बह गये. महाराज जी ने कहा जब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाते हैं, लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है, तो श्रीकृष्ण उन पर अनुग्रह करते हैं.
श्री कृष्ण के प्राकट्य, बाल लीलाओं की कथा सुन विभोर हुए भक्त
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य, बाल लीलाओं सहित महारास की लीला का वर्णन किया. बताया कि रास तो जीव का परमात्मा से मिलन है. यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। रास लीला में जीव की शंका करना या काम को देखना ही पाप है. उन्होंने कई बार भक्ति गीत गाकर दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया. महाराज जी ने कहा कि बिहार में युवाओं में प्रतिभा की की कमी नहीं है. माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों की प्रतिभा को परख कर इस क्षेत्र में उसे विकसित करें. इस दौरान रोहतास व कैमूर से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. महाराज के पहुंचते ही आसपास के लोग खेत खलिहान से दौड़ पड़े. उनके अंतिम दर्शन के लिए जगह-जगह पर लोग खड़े थे. पुलिस विधि व्यवस्था में लगी हुई थी महायज्ञ में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही.
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