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पैक्सों की जगह व्यापारियों के हाथों गेहूं बेच रहे किसान

Sasaram news. सहकारिता विभाग ने समितियों का चयन कर उन्हें कैश क्रेडिट देने की सुविधा दी. पैक्स और व्यापार मंडल को मिलाकर करीब 116 क्रय समितियां तैयार की गयीं. गेहूं का 2425 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया गया.

116 क्रय समितियों को खरीद के लिए किया गया है अधिकृत

पैक्सों में अब तक सात हजार टन ही गेहूं की हो सकी है खरीद

समर्थन मूल्य 2425 रुपये, जबकि 2550 रुपये प्रति क्विंटल खरीद रहे व्यापारी

फोटो-सहकार भवन.

प्रतिनिधि, सासाराम ग्रामीणजिले में नवंबर महीने में जब गेहूं की बुआई शुरू हुई, तो बाजार से डीएपी गायब हो गया था. उस दौरान किसानों को इसकी व्यवस्था में रात-दिन एक करना पड़ रहा था. डीएपी की जद्दोजहद में किसानों ने गेहूं की बुआई की. इसके बाद किसानों को उम्मीद थी कि जब फसल तैयार होगी और खरीद शुरू होगी, तो सरकार उनकी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस बार समर्थन मूल्य में अधिक बढ़ोतरी करेगी. इसकी व्यवस्था के नाम पर सरकार ने गेहूं की खरीद का लक्ष्य जिले का करीब 20 हजार टन निर्धारित किया. इसके लिए सहकारिता विभाग ने समितियों का चयन कर उन्हें कैश क्रेडिट देने की सुविधा दी. पैक्स और व्यापार मंडल को मिलाकर करीब 116 क्रय समितियां तैयार की गयीं. गेहूं का 2425 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया गया. ऐसे में तमाम तामझाम के बाद भी गेहूं का बाजार मूल्य और सरकारी मूल्य किसानों की समझ में नहीं आ रहा है. आलम यह है कि अब तक सात हजार टन भी गेहूं की खरीद पैक्सों में नहीं हो सकी है. जिन किसानों ने सहकारिता विभाग के पोर्टल पर गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन किये थे, वे भी अपनी फसल बेचने से परहेज करने लगे हैं और व्यापारियों को तरजीह दे रहे हैं.

2550 रुपये प्रति क्विंटल व्यापारी खरीद रहे गेहूं

किसान पैक्सों में गेहूं बेचने के लिए तैयार नहीं हैं. सरकारी रेट कम रहने के कारण किसान बाजारों में ऊंची कीमत पर गेहूं बेच रहे हैं. पैक्स में गेहूं की कीमत 2425 रुपये प्रति क्विंटल है, वहीं बाजार में 2550 रुपये प्रति क्विंटल व्यापारी खरीद रहे हैं. मोकर पैक्स अध्यक्ष मधुरेंद्र उपाध्याय, बेलाढ़ी पैक्स अध्यक्ष अंतु मेहता, सिकरिया पैक्स प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया कि पैक्स गोदाम पर हमलोग किसानों से गेहूं खरीदने के लिए इंतजार करते हैं. लेकिन किसान पैक्स तक नहीं पहुंचकर बाजारों में अधिक भाव रहने के कारण बेच रहे हैं. वहीं, किसानों ने कहा कि व्यापारी दरवाजे पर आकर गेहूं खरीद रहे हैं. तो सरकारी व्यवस्था की जरूरत ही क्या है? किसान हरिनारायण यादव, गणेश यादव, बद्री यादव, सुनील कुमार आदि ने बताया कि पैक्स में गेहूं देने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. व्यापारी को गेहूं देने के बाद किसान को तुरंत पैसा मिल जाता है. पैक्स में गेहूं देने के बाद विलंब की आशंका रहती है.

क्या कहते हैं अधिकारी

किसान खुले बाजार में गेहूं बेचने के लिए इच्छुक हैं और इस कारण पैक्स में गेहूं नहीं देना चाह रहे हैं. लगातार प्रयास के बाद भी किसान आगे नहीं आ रहे हैं. इससे गेहूं की खरीद की रफ्तार थोड़ी धीमी हो रही है. निर्धारित समर्थन मूल्य के करीब बाजार मूल्य भी किसानों को मिल जा रहा है. इस कारण किसान पैक्स के प्रति उदासीन दिखाई दे रहे हैं. किसानों के घर-घर जाकर पैक्स में गेहूं बेचने के लिए जागरूक किया जा रहा है. खरीद में जल्द तेजी आयेगी.

नयन प्रकाश, डीसीओ, रोहतास.

पैक्सों को गेहूं नहीं बेचने की समस्या पर एक नजर

-व्यापारी किसानों से सीधे गेहूं खरीद रहे हैं और उन्हें पैक्स में मिलने वाले समर्थन मूल्य से अधिक दाम दे रहे हैं. -सरकार द्वारा तय किया गया समर्थन मूल्य बाजार भाव से कम है, जिससे किसानों को पैक्स में गेहूं बेचने से नुकसान हो रहा है.

-पैक्स में गेहूं बेचने पर किसानों को बोरा, ढुलाई और वजन आदि का खर्च भी वहन करना पड़ता है, जिससे उनकी कमाई और कम हो जाती है.

-बाजार में व्यापारियों द्वारा गेहूं खरीदने पर किसानों को तुरंत नकद भुगतान मिल जाता है, जबकि पैक्स में भुगतान में देर से हो जाती है. -पैक्स में गेहूं बेचने के लिए किसानों को पंजीकरण कराना पड़ता है और एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जो बाजार में गेहूं बेचने की तुलना में अधिक समय लेने वाला है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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