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समय से इलाज नहीं हुआ, तो जानलेवा है हेपेटाइटिस बीमारी : सीएस

Sasaram news. हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करती है. यह बीमारी लीवर में सूजन उत्पन्न करती है और यदि समय पर पहचान और इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है.

सदर अस्पताल में हेपेटाइटिस डे पर चिकित्सकों ने लोगों को किया जागरूक

हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज करने वाले डॉ बरूच सैमुअल ब्लमबर्ग के जन्मदिन पर मनाया जाता है हेपेटाइटिस डेफोटो-2- हेपेटाइटिस डे पर जागरूकता कार्यक्रम में शामिल सीएस व अन्य.

प्रतिनिधि, सासाराम सदरहेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करती है. यह बीमारी लीवर में सूजन उत्पन्न करती है और यदि समय पर पहचान और इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं-जैसे वायरल संक्रमण, शराब का अत्यधिक सेवन, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव अथवा लीवर में अत्यधिक वसा का जमाव. हमारा प्रयास लीवर को स्वस्थ रखने के उपाय, टीका से मिलने वाली सुरक्षा और बचाव से अवगत कराना है. इसके लिए हमारी जीवनशैली कैसी होनी चाहिए. इसका विशेष ख्याल रखना चाहिए. ये बातें सिविल सर्जन डॉ मणिराज रंजन ने सोमवार को सदर अस्पताल में हेपेटाइटिस डे पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस पांच संक्रामक बीमारी का समूह है. इसमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और इ शामिल है. हर संक्रमण का कारण अलग-अलग होता है. किसी में दूषित पानी और भोजन, तो किसी में संक्रमित व्यक्ति के रक्त से संक्रमण हो सकता है. इसके प्रति जागरूकता के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने के पीछे लीवर की गंभीर बीमारी और यकृत कैंसर के प्रति लोगों को आगाह करना है. दरअसल, यह दिवस हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज करने वाले डॉ बरूच सैमुअल ब्लमबर्ग के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. इस बीमारी की वैक्सीन और दवा भी उन्होंने ही बनायी थी.

हेपेटाइटिस और उसके संक्रमण के प्रकार

जिला एड्स समन्वयक राजेन्द्र प्रसाद सिंह के अनुसार हेपेटाइटिस ए यह दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है, हेपेटाइटिस बी यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त (असुरक्षित यौन संबंध या सुई साझा करने) से फैलता है, हेपेटाइटिस सी यह संक्रमित रक्त के माध्यम से फैलता है और यह क्रोनिक संक्रमण का कारण बन सकता है, हेपेटाइटिस डी यह केवल उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस बी है, हेपेटाइटिस इ यह दूषित पानी के सेवन से फैलता है और हेपेटाइटिस ए की तरह ही फैलता है.

टैटू बनवाने से भी होता है हेपेटाइटिस

जिला एड्स पर्यवेक्षक धर्मदेव सिंह व डॉ प्रिया कुमारी के अनुसार टैटू बनवाते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से न सिर्फ हेपेटाइटिस से बचाव हो जाता है बल्कि एचआईवी के संक्रमण से भी बचा जा सकता है. दरअसल, टैटू बनाने के दौरान सुई से इंक स्किन के अंदर डाली जाती है. वह खून के संपर्क में आती है. यदि वह सुई पहले से ही किसी हेपेटाइटिस संक्रमित शख्स के त्वचा के अंदर पहुंचकर उसके खून के संपर्क में आ चुकी है तो उसके आगे जो लोग टैटू गुदवायेंगे, उन्हें हेपेटाइटिस बी या सी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इससे एचआईवी होने का खतरा भी रहता है. जागरूकता कार्यक्रम में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ बीके पुष्कर, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार, डॉ राकेश कुमार, स्वास्थ्य प्रबंधक अजय कुमार आदि मौजूद थे.

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