विश्व रक्तचाप दिवस पर जागरूकता में स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिखायी दिलचस्पी फोटो-31- सदर अस्पताल स्थित रक्तदान केंद्र.
प्रतिनिधि, सासाराम सदरस्वास्थ्य विभाग द्वारा यक्ष्मा दिवस, फाइलेरिया दिवस, कैंसर दिवस के अलावा विभिन्न गंभीर बीमारियों के दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम के साथ स्वास्थ्य जांच व अन्य कार्यक्रम चलाये जाते हैं. लेकिन, वर्तमान समय में सबसे खतरनाक बीमारी रक्तचाप की बीमारी है, जो मरीजों के लिए साइलेंट किलर के रूप में काम कर रहा है. उच्च रक्तचाप के मरीजों की इन दिनों अचानक मौत हो रही है. इसके बावजूद भी शनिवार को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. शहर के वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार पहली बार वर्ष 14 मई 2005 को उच्च रक्तचाप दिवस मनाया गया था. जिसका वर्ष 2006 में तिथि बदलकर 17 मई कर दी गई थी. उच्च रक्तचाप दिवस एक जागरूकता अभियान है. जो उच्च रक्तचाप के बारे में लोगों को शिक्षित करने और इसके प्रबंधन के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है. उच्च रक्तचाप, जिसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है, एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो हृदय रोग, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है. इस बीमारी में मरीज के लिए परहेज ही बचाव का एकमात्र विकल्प है. इस बीमारी में उक्त रक्तचाप नियमित जांच कराना, स्वस्थ आहार लेना और नमक का सेवन कम करना आवश्यक है.लक्षण व बचाव के उपाय
डॉ संजय कुमार के अनुसार सिरदर्द उच्च रक्तचाप के कारण विशेष रुप से सुबह में सिरदर्द होना, सिर में चक्कर आना, उच्च रक्तचाप के कारण सीने में दर्द या दबाव महसूस होना, सांस लेने में परेशानी उच्च रक्तचाप का मुख्य लक्षण हैं. इससे बचाव के लिए तनाव प्रबंधन के लिए योग, ध्यान समेत अन्य तकनीकों का उपयोग आवश्यक है. मरीजों को ठंड व तेज गर्मी के दिनों में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नियमित दवा का सेवन करना चाहिए. इसके लिए जागरूकता जरूरी है. जागरूकता और परहेज ही बचाव के उपाय हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है